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Showing posts from August, 2024

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सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

जन्मदिन

 बंग्ले में नाती के जन्म दिवस पर भव्य आयोजन किया गया था शहर के जाने माने सम्मानित रहीश हाथों में गुलदस्ता भेंट लेकर सपरिवार सहित आ रहें थें बेटा धनीराम बहू लछमी बंगले के गेट पर सभी मेहमानों का मुस्कुराते हुए स्वागत कर रहे थे घर के नौकरों को पहले ही आदेश दिया गया था कि मेहमानों कि खातिर दारी में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाए तभी तो नोकर दौड़ दौड़ कर चाय काफी पानी सभी मेहमानों को सर्व कर रहे थे सम्मानित धनाढ्य मेहमानों के आने के बाद जन्म दिन के कैक काटने कि तैयारी हों गई थी थोड़ी ही देर में हाल में हैप्पी बर्थ डे जियो हजारों साल कि ध्वनियां सुनाई दे रही थी साथ ही तालियां बजाने कि आवाज आ रही थी कुछ देर बाद पार्टी चालू हो गई थी मेहमानों के लिए खास तरह कि व्हिस्की मंगाई गई थी जाम पर जाम टकराए जा रहे थे हाल में मध्यम आवाज में रोमांटिक संगीत बज रहा था उस संगीत पर मेहमान थिरक रहें थें स्वादिष्ट रूचिकर भोजन का इंतजाम किया गया था बेटा बहू अपनी रहीशी का भरपूर दिखावा कर रहे थे  परन्तु बेटा बहू शायद भूल गए थे कि घर में बूढ़ी मां भी हैं जो कि विस्तर पर बहुत सारी बीमारी के साथ दो रोटी के लिए मोह...

भाईचारा

ठंड का मौसम था लोग घरों के अंदर अलाव जलाकर ताप रहे थे कुछ तो विस्तर में ही कम्बल में लिपटे हुए थे पर ऐसे ठंडे मौसम में बच्चे कहां पीछे रहने वाले थे गली के किशोर पार्क के मैदान में बेट बल्ला गेंद लेकर पहुंच गए  थे लकड़ी के स्टंप गाढ़े जा रहे थे टीम बनाई गई थी दोनों टीमों के कप्तान चुनें गये थे एम्पायर का चयन किया गया था टोंस फेंककर दोनों टीमों के योद्धा मैदान में डटकर मुकाबला करने के लिए उतावले हो रहे थे ऐसे रोमांचक मुकाबले में सपोर्ट करने वाले न हो भला ऐसे कैसे हो सकता था छोटे छोटे बच्चे बेरोजगार नौजवान अपनी अपनी टीम के होंसला अफजाई के लिए मैदान में दोनों ओर आमने-सामने बैठकर तालियां बजाने के लिए इंतजार में थे ऐक टीम का कप्तान  कमलेश कुमार था  दूसरा कासिम  कासिम ने पहले फिल्डिंग चुनी कमलेश कुमार के ओपनर बल्लेबाज बेट बल्ला को  हवा में घुमाते  इतराते हुए अपनी अपनी पोजीशन लेकर तैयार खड़े थे एम्पायर के इशारे पर बोलर ने गेंद डालीं यह क्या पहली ही गेंद पर चौका मैदान में बैठें सपोर्ट करनें वालें  बंश मोर बंस मोर चिल्ला कर तालियां बजाने लगे फिर दो तीन ओवर तक चौ...

दलदल एक युवा लड़के कि कहानी

वह एक वर्षांत कि रात्रि थी मेघ गर्जन करते हुए कड़कती बिजली के साथ घनघोर वर्षा कर रहे थे ऐसे ही रात्रि में परेश होटल के कमरे में एक युवा शादी शुदा महिला के साथ लिपटा हुआ था  महिला के कठोर नग्न स्तनों का नुकिला हिस्सा उसकी छाती पर गढ़ रहा था वातावरण में गर्म सांसें के साथ तेज सिसकारियां निकल रही थी सांगवान का डबल बैड पलंग पर मोंटे मोंटे गद्दे कांप रहे थे पलंग का शायद किसी हिस्से का नट बोल्ट ढीला था तभी तो कि कुछ चरमरा ने कि आवाज आ रही थी  साथ ही महिला के मुख से और तेज हा ओर तेज शाबाश ऐसे ही ... .. आह आह सी सी बस बस अब नहीं छोड़ो टांग दर्द  कर रही है बस बस  पर परेश  धक्के पर धक्का दे रहा था फिर वह भी थम गया था अपनी उखड़ी सांसों के साथ चूंकि परेश पुरूष वैश्या था उसकी अमीर हर उम्र कि महिला थी वह इस धंधे में नया नया आया था  पर जल्दी ही अमीर महिलाओं के बीच फेमस हो गया था उसका कारण था उसका सुंदर सुडौल शरीर और बात करने का सभ्य।  ढग फिर वह अपने काम को पूरी इमानदारी से निर्वाह करता था मतलब उसकी ग़ाहक को किसी भी प्रकार कि शिक़ायत नहीं रहती थी । खैर सांसें थमते ही ...

मंत्र

सांध्य का समय था खटिया पर रोग ग्रस्त बूड़ा आदमी लेटा हुआ था वह लगातार ख़ास रहा था पानी लेकर आने वाली  उस बूढ़े कि अर्धांगिनी थी दो घूंट पानी पीकर बूड़े ने कहा था नजदीक आइए देखो हमारा जीवन पूरा हो रहा है परमात्मा के देवदूत हमारे देह के चक्कर लगा रहे हैं कभी भी प्राण निकाल कर लें जायेगा फिर खांसी का वेग चालू हो गया था अर्धांगिनी बगल में ही थीं तुरंत ही पानी का गिलास उठाकर नजदीक पहुंच गयी थी  फिर अपने ही लहज़े में कहने लगी थीं कि कहते हैं कि डाक्टर भगवान के रूप होते हैं और भगवान को प्रसाद चढ़ाना पड़ता है धूप दीप अगरबत्ती लगाना पड़ती है तब भगवान अपनी दया याचिका स्वीकार करते हैं पर धरती पर तो डाक्टर को नब्ज देखने के साथ धड़कन कि भी फीस चाहिए अन्य बिमारियों का अलग धन जो मेरे पास था सब कुछ डाक्टरों ने ले लिया पर यह कलमुंही खांसी पीछा नहीं छोड़ रहीं हैं चलों थोड़ा सा पानी पीजिए आराम मिलेगा ?? हालांकि बुढ़िया ने पानी पिला दिया था खांसी थम गई थी तभी तो बूढ़े व्यक्ति ने कहां था कि देखो तुमने सारे जीवन दुःख सुख में साथ दिया है हमारा तुम्हारा साथ साठ साल का था फिर कमजोर आवाज में भगवान से प...

दामाद

  घर दामाद बनना हर किसी के बस बस कि बात नहीं दिल से, दिमाग़, से, मजबूत होना पड़ता है फिर,कभी कभी अपमान भी झेलना पड़ता है वह भी साले,या,सास, ससुर साले कि पत्नी फिर अपनी ख़ुद कि, अर्धांगिनी शेरनी बनकर दहाड़ मारने लगती है कभी कभी तो अपमान के घूंट पानी कि तरह पी कर रहना पड़ता है कुल मिलाकर अपना आत्म सम्मान दांव पर लगा कर बेशर्म होकर ससुराल कि रोटीयां तोड़ने पड़ती है पर राम वरन हालांकि घर जमाई था या यूं कहें कि मजबूर होकर घर जमाई बनना पड़ा था या फिर पत्नी के प्रेम में बंध गया था तभी तो वह अपमान पर अपमान सह कर ससुराल में ही रह रहा था कुल मिलाकर वह मासूम जमाई था या फिर अपने छद्म रूप से यह सब कुछ सह रहा था । रामवरण बेरोजगार शादी शुदा सिविल इंजीनियर था जब उसकी डिग्री का आखिरी साल था तभी उसकी सगाई हो गई थी और फिर डिग्री आते ही शुशील कन्या से विवाह हो गया था जहां रामवरण मध्यम वर्ग परिवार से ताल्लुक रखता था वही उसकी पत्नी बड़े किसान परिवार से ताल्लुक रखती थीं उसके पिता जी का आसपास के पचास गांव में बोलबाला था आखिर क्यों नहीं होता क्योंकि उनके पास सैकड़ों एकड़ जमीन थी फिर बहुत सारी गाएं, भैंस थी...

विश्वास इंसान जानवर कि कहानी

<> अर्ध रात्रि का समय आसमान में तारे टिमटिमाते हुए अपनी आलोकित आभा से शीतलता बिखेर रहे थे ऐसे ही बेला में कोरोनावायरस के कठिन समय में प्रवासी मजदूरों के जत्थे भूख प्यास पुलिस प्रशासन से जूझते हुए अपनी मंजिल कि और कदम ताल मिलाकर चलते हुए जा रहे थे इन्हीं के बीचों-बीच चल रहे थे दो मुसाफिर जो जम्मू से बुन्देलखण्ड अंचल जा रहे थे जिन्होंने सेकंडों किलोमीटर कि यात्रा पूरी कर ली थी  अभी भी हजारों किलोमीटर कि यात्रा बाकी बची हुई थी चलिए आप को दोनों  इन्सानी भावनाओं से भरा हुआ स्वार्थ राग द्वेष अच्छा बुरा गिरगिट लोमड़ी  नाग जैसे जानवरो के गुणों को धारण करने वाला ख़ैर इस आपाधापी वाले आर्थिक युग में यह गुण तो लगभग लगभग-लगभग सभी मनुष्यों में समान रूप से पाए जाते हैं चलिए अब कहानी शुरू करते हैं । पड़ोसी देश कि सीमा  सेे.कोरोनावायरस ने अपनी दस्तक दे दी थी मिडिया के हवाले से वहां पर जन मानस बेहाल था कोरोनावायरस महामारी  ने अपना आवरण पूरी तरह से ओढ़ लिया था हजारों जन-मानस अनायास ही काल के गाल में समा गए थे वहां कि सरकार भी  लगभग-लगभग नतमस्तक हो कर त्राहि-त्राहि मान ...