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सेठजी यूं तो पचपन साल कि उम्र के थें दांडी बाल सब सफेद हो गये थें फिर भी वे काली डाई कर कर बाल काले रखतें थें और नियमित योगासन करके या फिर जिम में जा…
आप का स्वागत हैं आप को नव युग नव जीवन पर आधारित रोमांटिक कहानियां, बेबसीरज परिवारिक कहानी,लिव इन रिलेशनशिप,के दुष्परिणाम के बाद के तलाक ऐसी बहुत सी आस पास के माहौल को देखते हुए लिखी गई कहानियां कविताएं लेख चिंतन दर्शन आध्यात्मिक के लिए आप का काका अपनी लेखन से आप के सामने प्रस्तुत कर रहा है ।।
प्रस्तावना :- क्योंकि मौजूदा समय इंटरनेट का है हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल लैपटॉप या कंप्यूटर है आज हम लोग टेक्नोलॉजी की मदद से संसार के किसी भी छोर को ऑनलाइन देख सकते हैं चूंकि इंटरनेट के माध्यम से हम मनोरंजन के साधन जैसे कि फिल्म वेब सीरीज धारावाहिक समाचार डिस्कवरी चैनल कभी भी कहीं भी देख सकते हैं ऐसे में हम साहित्य की दुनिया से दूर हो रहे कहते हैं की किताबें इंसान की सबसे अच्छी मित्र है उन्हें पढ़ने से हम अपनी आत्मा की गहराइयों में पहुंच जाते हैं हमें संसार में कैसे रहना है कैसा जीवन यापन करना है हमारे क्या कर्तव्य है यह सब हमे साहित्य के माध्यम से मार्गदर्शन मिलता रहता है हमें अध्यात्म दर्शन का ज्ञान प्राप्त होता है मौजूदा समय में विश्व धरोहर साहित्य की चुनिंदा पुस्तकें अलमारी में कैद हैं किसी के पास भी उन्हें पढ़ने का समय नहीं है चूंकि आज भी संसार में पुस्तकें पढ़ने वाले लोग है मेरा प्रयास है कि मोबाइल या लैपटॉप के माध्यम से ज्ञानवर्धक सामाजिक परिवारिक कहानी लेख धारावाहिक कविताएं अपने ब्लॉग में लिखूं ताकि एक बार फिर से हम साहित्य की ओर इंटरनेट के माध्यम से वापस लौटे धन्यवाद !
आप को यह पड़ने को मिलेगा जैसे कि कविताएं जिसमें प्रकृति का चित्रण , सौंदर्य, जल, जंगल, जमीन, पहाड़, पेड़ पौधों,फूल, इत्यादि कि सरल भाषा में व्याख्या
इस ब्लॉग में आपको यह पड़ने को मिलेगा जैसे कि रोमांटिक कहानियां , मर्म स्पर्शी रचनाएं, परिवार, समाज,पर सरल भाषा में रचनाएं ।
इस ब्लॉग में आपको सरल भाषा में लेख , धारावाहिक, चिंतन, दर्शन, काव्य, संग्रह, पड़ने, को मिलेगा,जिस को, पड़ने से मन को असीम, शांती मिलेंगी, अध्यात्म के, नजदीक पहुंच कर, आत्मा कि गहराइयों, में, जिससे, हमारे,मन,पर, चढ़ी हुई,धूल,साफ, होंगी ।
काकाकिकलमसे .काम में सभी साहित्यकारों का स्वागत है आप पढ़कर,इसकी, समीक्षा, कमियां, लेखनी सुधार के लिए अपनी राय दें सकते हैं अगर, कोई भी,लेखक इस मंच पर अपनी रचनाओं का प्रकाशन करना चाहता है तब एडमिन कि परमीशन लेकर रचनाएं मेल करें एडिटर कि स्वीकृति के बाद रचनाएं प्रकाशित कर दी जाएगी धन्यवाद
यह ब्लॉग विश्व साहित्य को समर्पित है इसमें रोमांटिक कहानियां, कविताएं,लेख, धारावाहिक, चिंतन, दर्शन, काव्य, आदि अच्छी सरल भाषा में पड़ने को मिलेगा में जो कुछ भी लिखूं समाज के बदलते माहोल पर लिखूं जैसे कि अभी हम आधुनिक काल में जी रहे हैं यह काल टैक्नोलॉजी का है धन का हैं ऐसे में हम पैसे के पीछे भाग रहे हैं हम अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं माता पिता भाई बहन हमें बोझ लगने लगें हैं बुढा होने पर माता पिता को वृद्धा आश्रम में रहकर अपना अंतिम समय प्रभु मिलन तक गुजारना पड़ता है क्या यह सही है ??छोटा या बड़ा भाई कभी आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है तब हम उसकी मदद नहीं करते क्या हमारा यह कर्तव्य नहीं अक्सर देखने में मिलता है कि शादी के कुछ ही समय बाद तलाक हो जातें हैं पर पुरुष पर नारी में दैहिक संबंध बना कर अपना सुखी संसार बिखेर रहे हैं लिव इन रिलेशनशिप में रहकर एक दूसरे का दैहिक आर्थिक शोषण कर छोड़ दिया जाता है क्या यह सही है हम पूरी तरह से स्वार्थी हो गए हैं कहते हैं साहित्य समाज का आइना है इसी आइना को देखकर जो भी रचनाएं लिखूं अच्छी स्वस्थ भाषा में लिखूं ।
सेठजी यूं तो पचपन साल कि उम्र के थें दांडी बाल सब सफेद हो गये थें फिर भी वे काली डाई कर कर बाल काले रखतें थें और नियमित योगासन करके या फिर जिम में जा…
उसने चाय बना दी थी दोनों ही नीचे चटाई पर बैठकर चाय कि चुस्कियों लें रहें थें व एक दूसरे को निहार रहे थे कुछ देर बाद विनय कुमार ने कहा था कि आप बुरा …
बंग्ले में नाती के जन्म दिवस पर भव्य आयोजन किया गया था शहर के जाने माने सम्मानित रहीश हाथों में गुलदस्ता भेंट लेकर सपरिवार सहित आ रहें थें बेटा धनीर…
ठंड का मौसम था लोग घरों के अंदर अलाव जलाकर ताप रहे थे कुछ तो विस्तर में ही कम्बल में लिपटे हुए थे पर ऐसे ठंडे मौसम में बच्चे कहां पीछे रहने वाले थे ग…
वह एक वर्षांत कि रात्रि थी मेघ गर्जन करते हुए कड़कती बिजली के साथ घनघोर वर्षा कर रहे थे ऐसे ही रात्रि में परेश होटल के कमरे में एक युवा शादी शुदा महि…
सांध्य का समय था खटिया पर रोग ग्रस्त बूड़ा आदमी लेटा हुआ था वह लगातार ख़ास रहा था पानी लेकर आने वाली उस बूढ़े कि अर्धांगिनी थी दो घूंट पानी पीकर बूड…
घर दामाद बनना हर किसी के बस बस कि बात नहीं दिल से, दिमाग़, से, मजबूत होना पड़ता है फिर,कभी कभी अपमान भी झेलना पड़ता है वह भी साले,या,सास, ससुर साले…
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