सांध्य का समय था पंछी टोलियां बनाकर आपस में बात चीत करते हुए पंख फड़फड़ाते हुए अपने अपने घोंसले कि और जा रहें थें दूर कहीं पहाड़ पर सूर्य देव कि आखरी किरण अपनी आभा बिखेर रही थी ऐसे ही समय में कागजी पहलवान अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से गांव आ रहा था चूंकि उन दिनों गांव के लिए पक्की सड़क नहीं थी सकरी सी गली थी उसी गली से गांव के जानवर जैसे कि गाय भैंस बकरी बैलगाड़ी ट्रेक्टर के लिए यहीं गली ही थी तभी तो कागजी पहलवान को संध्या समय कि ऐसी बेला में बुलेट चलाने में परेशानी आ रही थी वह कभी जोर जोर होरन बजाता तब कभी बुलेट ऐक और करके खड़ा हो जाता तभी ऐक चरवाहे ने कहा लगता है कि पहलवान कोई मेहमान आए है हां हां भाई ससुराल से आए है पहलवान ने मूछ पर ताव देकर जबाब दिया था दरअसल बुलेट मोटरसाइकिल के पीछे कि सीट पर सुन्दर सजीला नौजवान बैठा था । हां हां भैया भौजी के तब तो भाई होंगे ही ही ही कर के हंसने लगा था खैर कागजी पहलवान जैसे तैसे गांव के नजदीक पहुंच कर शराब कि दुकान पर रूक गया था बुलेट मोटरसाइकिल को खड़ा कर वह काउंटर पर पहुंच गया था कहां से आना हो रहा है पहलवान सेल्समैन ने पूछा था रेलवे स्टेशन से ल
यू तो सजना संवरना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है पर मौजूदा समय मोबाइल फोन का हैं पहले सजना संवरना फिर सेल्फी पोज लेना अजी इसके मजे ही अलग है जैसे कि विभिन्न प्रकार से सेल्फी लेना कभी पार्क में, तब कभी घर के छत पर ,तब कभी , मोटरसाइकिल के साथ तब कभी कार में,या फिर रेलगाड़ी में या फिर हवाई जहाज मैं सभी के शौक निराले हैं फिर क्या कहें कोई कोई तो खाली चेहरे का वह भी विभिन्न हाव भाव के साथ फिर कोई तो खासकर अपने बाल सीना मोटी मोटी भरी हुई बाहें फिर कोई तो सारे शरीर कि नुमाइश कर के फिर लड़कियों का क्या कहना वह तो लिपस्टिक पाउडर लगा कर कभी खाली पतले पतले गुलाबी होंठ फिर कभी पूरा चेहरा मुस्कुराते हुए जैसे कि गुलाब का फूल मुस्कुराए जा रहा हों फिर कभी कमर से ऊपर तक जिसमें उनका कठोर सीना खासकर दिखाई दे रहा हों फिर कभी कमर तक खुले बालों के साथ फिर कभी कम कपड़ों में ,या फिर साड़ी या फिर सलवार कुर्ता जींस टी शर्ट , और हां जो शादी शुदा है बे अपने पति बच्चों के साथ सेल्फी लेकर उसे सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करें तब तक उनका भोजन नहीं पचता फिर मोबाइल फोन को खोलकर किसने कमेंट किया किया क्या लिखा प्रशंसा कि