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कागजी पहलवान

सांध्य का समय था पंछी टोलियां बनाकर आपस में बात चीत करते हुए पंख फड़फड़ाते हुए अपने अपने घोंसले कि और जा रहें थें दूर कहीं पहाड़ पर सूर्य देव कि आखरी किरण अपनी आभा बिखेर रही थी ऐसे ही समय में कागजी पहलवान अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से गांव आ रहा था चूंकि उन दिनों गांव के लिए पक्की सड़क नहीं थी सकरी सी गली थी उसी गली से गांव के जानवर जैसे कि गाय भैंस बकरी बैलगाड़ी ट्रेक्टर के लिए यहीं गली ही थी तभी तो कागजी पहलवान को संध्या समय कि ऐसी बेला में बुलेट चलाने में परेशानी आ रही थी वह कभी जोर जोर होरन बजाता तब कभी बुलेट ऐक और करके खड़ा हो जाता तभी ऐक चरवाहे ने कहा लगता है कि पहलवान कोई मेहमान आए है  हां हां भाई ससुराल से आए है पहलवान ने मूछ पर ताव देकर जबाब दिया था दरअसल बुलेट मोटरसाइकिल के पीछे कि सीट पर सुन्दर सजीला नौजवान बैठा था । हां हां भैया भौजी के तब तो भाई होंगे ही ही ही कर के हंसने लगा था  खैर कागजी पहलवान जैसे तैसे गांव के नजदीक पहुंच कर शराब कि दुकान पर रूक गया था बुलेट मोटरसाइकिल को खड़ा कर वह काउंटर पर पहुंच गया था  कहां से आना हो रहा है पहलवान सेल्समैन ने पूछा था  रेलवे स्टेशन से  ल

कोरोना चौथी लहर का डर लेख

मिडिया वार वार पड़ोसी देश कि भयावह तस्वीरें दिखा कर सावधान सावधान कह कर हमें चेतावनी दें रहीं हैं अब हमें खुद को परिवार को पड़ोसी को मुहल्ले को  शहर को प्रदेश या फिर देश को महामारी से जागरूक करना होगा कारण पहले हम सुरक्षित रहेंगे तभी तो परिवार पड़ोसी को जागरूक कर पाएंगे । हम सभी ने पिछली तीन लहर देख ली है उन लहरों में हमारे दोस्त , रिश्तेदार पड़ोसी अनायास ही काल के गाल में समा गए हैं इसमें किसी कि गलती नहीं थी गलती उनकि थी जिन्होंने  सरकार , स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश का पालन नहीं किया मिडिया के हवाले से सभी देशों कि सरकार ने अपने अपने नागरिकों को कोरोनावायरस गाइड लाइन का पाठ याद कराया पर काल के गाल में समां गये लोगों ने नहीं माना कुछ लोग तो उनकी गलती नहीं मानते सारा दोष सरकार पर या फिर डाक्टर पर या फिर अस्पतालों पर मढ कर अपने आप को आत्मसात कर लेते हैं यह उनकी सोच है परन्तु सच्चाई यह थी कि मरने वालों ने कोरोना को हल्के में लिया था खिल्ली उड़ाई थीं सरकार के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था । यह तो तीन लहरों का भुत था अभी हम वर्तमान में हैं भविष्य हमारे हाथ में है हमें भूत से सीख

कोरोना बनाम डर परोसती मिडिया

 जी हां फिर से मिडिया  डर परोस रही है कोई भी न्यूज़ चैनल देखिए सुट बूट पहने एंकर गला फाड़कर चीख चीखकर सावधान सावधान अलाप रहें हैं मज़े कि बात तों यह हैं कि दूसरों को माक्स सेनेटाइजर का कहते हैं परन्तु खुद पर अमल नहीं करते हैं कारण शायद उनकि कोरोनावायरस से जान पहचान हैं खैर यह उनका व्यक्तिगत मामला है परन्तु हमें माक्स सेनेटाइजर का उपयोग ज़रूर करना है । कुछ चैनल पड़ोसी देश के अस्पताल में तड़पते हुए  मरीजों कि तस्वीरें विडीयो दिखा रहे हैं कुछ चैनल तो शमशान घाट पर लम्बी लम्बी कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले तो अपने स्वजनों कि अस्थियां लेने वाले कि कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले लम्बे लम्बे व्याख्यान देकर कोरोनावायरस फिर से कैसे आया उन देशों कि सरकार  कहा चूंकि उन्हें क्या करना था उन्होंने क्या किया ... उनके हेल्थ मिनिस्टर लापरवाह थें वहां कि वैक्सीन फेल हो गई आदि आदि  कुछ चेनल पर तों डेबिट हों रहीं हैं स्पेशलिस्ट अपना अपना अथाह ज्ञान का दान कर देखने वालीं आंखों को धन्य कर रहें हैं बचाव, उपचार के तरीके बता रहे हैं कुछ तो हमें क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए कितना खाना चाहिए कुछ तो