"खाप पंचायत " प्रेम विवाह करने पर पिता भाई ने पंचायत का खूंखार फैसला नहीं माना
सुबह का समय था जाड़ों के दिन थे कोहरा छाया हुआ था वातावरण में शीतलहर चल रही थी जिससे हड्डियां पी कंपकंपा रहीं थीं ऐसे में अधिकांश लोग गांव में गाय भै…
आपके लिए परिवारवाद,, सामाजिक, आर्थिक,जल,जंगल, जमीन,के लिए लिखी कविताएं व,लेख रोमांटिक,लिव इन रिलेशन, पति पत्नी,धोखा, अवेध संबंध, किसान, गरीब, मजदूर, मध्यम वर्ग, पर आधारित अपनी सी कहानियां का पिटारा ।।
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रविवार कि सुबह सूर्य उदय का समय था मिस्टर नरेश मजूमदार फ्लेट कि बालकनी से सूर्य उदय उदय कि अलौकिक आभा को देखकर रोमांचित हो रहें थें गोल गोल मटोल घेर…
मग्न लाल शाम को झुग्गी आया था टिफिन का थैला के साथ एक कपड़े कि थैली में कुछ सब्जियां थी उसने उसे घरवाली को पकड़ा दी थी फिर वह हाथ मुंह धोने लगा था घर…
अर्थ रात थी नींद में था सपनों के कि दुनिया में था न थी देह कि खबर न हि था व्यापार हानि लाभ का भय न था परिवार का गुमान पुत्र पत्नी बहू बाबूजी मा…
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