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Showing posts from June, 2022

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सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

दगाबाज प्यार

 अंधेरी भादों मास कि ट्रेन घुप्प अंधेरे को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी कभी कभी तेज बिजली चमकने से खिड़की से रोशनी अंदर पहुंच रही थी बाहर तेज वारिस हो रही थी ऐसे ही मौसम में में अहमदाबाद से इंदौर आ रहा था मेरी बर्थ नीचे थी सोचा कि सोने से पहले कुछ पेट पूजा कर लूं क्यों कि सुगर वाले मरीज को भूख ज्यादा ही लगती है इसलिए मैंने रेलवे स्टेशन से ही फल नमकीन बिस्कुट पहले ही खरीद कर रख लिए थे चूंकि मेरी बर्थ नीचे थी सामने वाली बर्थ पर एक नौजवान आदमी उदास बैठा हुआ था चेहरे मोहरे से वह बहुत ही सभ्य अच्छे खानदान का लग रहा था मैंने उसके उपर एक सरसरी नजर डाली थी उसका चेहरा भले ही मुरझाए हुए था पर चेहरे पर मासूमियत भरी हुई थी  किसी छोटे बच्चे कि तरह  फिर मैंने उस कि कद काठी के मुआवना किया था भरी हुई देह थी बाहें कसी हुई थी सीना चौड़ा था चेहरा भी खूबसूरत था चेहरे पर काली स्याही मूंछें उसके व्यक्तित्व पर चार चांद लगा रहीं थीं कुल मिलाकर कर उसका व्यक्तित्व मर्दानगी से भरा हुआ था वह मोबाइल पर कुछ पड़ रहा था मुझसे रहा नहीं गया था मैंने उसे टोक कर कहा था भाई कहां जाना है । जी इन्दौर उसने जवाब दिय...

दो बीघा ज़मीन कहानी

  दो भाई थे एक का नाम मनी राम था दूसरे आ नाम गुड़ी राम था जब तक माता पिता जिंदा थे मिलकर रहते थे दोनों का व्याह हो गया था खेती बाड़ी अच्छी थी दो दो ट्रेक्टर , मोटरसाइकिल,कार  थी अच्छा पक्का बड़ा तीन मंजिला मकान था कुल मिलाकर माता पिता इश्वर के आर्शीवाद से हर प्रकार से सुखी थे धन धान्य रूपए पैसा कि कोई भी कमी नहीं थी जब तक माता पिता जीवित थे सब कुछ अच्छा चल रहा था  फिर पहले पिता जी स्वर्ग सिधार गए थे उनके गुजर जाने के बाद उन्होंने संपत्ति का बंटवारा करने का निश्चय किया था कुछ नजदीकी रिश्तेदार के अलावा गांव के पंच परमेश्वर इकट्ठे हुए थे सभी संपत्ति आधी आधी बांटी गई थी जैसे कि घर जमीन टैक्टर गाय भैंस ज़ेवर रूपए पैसा पर अब बात यहां अटक गई थी कि अम्मा कि सेवा कोन करेगा बड़ी बहू सेवा करने को राजी नहीं थी फिर छोटी बहू से पूछा गया था तब वह भी न नखरे करने लगी थी पंचों ने विचार कर कहा था कि जो भी दोनों भाइयों में से अम्मा कि सेवा करेगा उसे ढाई बीघा जमीन उनके मरने पर उसी को मिलेंगी चूंकि अम्मा के नाम पर गांव के नजदीक ही जो कुआं था उनके नाम पर ही था अब ढाई बीघा जमीन कि लालच में छोटी ...

सात चुड़ैल लोक कहानी

पुराने समय कि बात हैं एक गांव में बुद्ध प्रकाश नाम का व्यक्ति रहता था वह गरीब था परिवार में माता पिता एक बहन थी परिवार बहुत गरीब था परिवार को बेटी की शादी की बहुत चिंता हो रही थी कारण धन की कमी थी उनके पास खेती भी नहीं थी कुछ बकरियां से ही घर का खर्च व जीवन यापन कर रहे थे बुद्ध प्रकाश को बकरियों को चराने की जुममेदारी  दी गई थी बाकी घर के सदस्य मजदूरी कर रहे थे हालांकि उसका नाम बुद्धिप्रकाश था पर वह दिमाग से कमजोर था जितना ही वह करता था जो उसे उसके माता-पिता बोलते थे एक दिन उसकी माता ने 7 रोटी पकाई थी जो कि सब्जी नहीं थी तब उसकी माता ने नमक चटनी बनाकर उसे कपड़े में लपेटकर बांधी थी फिर वह वकरीया चराने के लिए जंगल में पहुंच गया था उसे एक कुआं दिखाई दिया था जिसमें अंदर पानी पीने के लिए सीढ़ियां लगी हुई थी वह उसके अंदर गया था फिर रोटी निकाल कर कहने लगा था कि एक खाऊं दो खाऊं तीन खाऊं या फिर सारी ही खा जाऊं । उसके ऐसा कहते ही उसमें से एक चुड़ैल प्रकट हुई थी उसने कहा देखो हम सात बहिनें है यह हमारा धर है हम यहां पर बहुत समय से रहते हैं हम किसी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाते फिर तुम हमें क्य...

मोबाइल सेल्फी

 यू तो सजना संवरना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है पर मौजूदा समय मोबाइल फोन का हैं पहले सजना संवरना फिर सेल्फी पोज लेना अजी इसके मजे ही अलग है जैसे कि विभिन्न प्रकार से सेल्फी लेना कभी पार्क में, तब कभी घर के छत पर ,तब कभी , मोटरसाइकिल के साथ तब कभी कार में,या फिर रेलगाड़ी में या फिर हवाई जहाज मैं सभी के शौक निराले हैं फिर क्या कहें  कोई कोई तो खाली चेहरे का वह भी विभिन्न हाव भाव के साथ फिर कोई तो खासकर अपने बाल सीना मोटी मोटी भरी हुई बाहें फिर कोई तो सारे शरीर कि नुमाइश कर के फिर लड़कियों का क्या कहना वह तो लिपस्टिक पाउडर लगा कर कभी खाली पतले पतले गुलाबी होंठ फिर कभी पूरा चेहरा मुस्कुराते हुए जैसे कि गुलाब का फूल मुस्कुराए जा रहा हों फिर कभी कमर से ऊपर तक जिसमें उनका कठोर सीना खासकर दिखाई दे रहा हों फिर कभी कमर तक खुले बालों के साथ फिर कभी कम कपड़ों में ,या फिर साड़ी या फिर सलवार कुर्ता जींस टी शर्ट , और हां जो शादी शुदा है बे अपने पति बच्चों के साथ सेल्फी लेकर उसे सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करें तब तक उनका भोजन नहीं पचता फिर मोबाइल फोन को खोलकर किसने कमेंट किया किया क्या लिखा प्...

लखटकिया किस्मत के धनी मूर्ख कि लोक कथा

 पुराने समय कि बात हैं एक गांव था उस गांव में एक गरीब भोला नाम का अपने परिवार के साथ रहता था परिवार में माता पिता बेटा बहू ही रहते थें वह सारे दिन मेहनत मजदूरी कर के  व जंगल से लकड़ी काटकर भरण पोषण कर रहा था लड़का मां का बहुत ही आज्ञाकारी पुत्र था  जैसा मां कहती वह वहीं करता था उसकि पत्नी मायके गई हुई थी उससे मां ने कहा था बेटा बहुत दिन हो गए हैं तुम जाकर बहू को मायके से वापस घर लें आना क्यों कि में तो तुम्हारे पिता जी सारे दिन मजदूरी करते हैं  वापस घर आते आते में थक जाती हूं फिर घर पर आकर खाना पकाना व अन्य काम करने से और थक जाती हूं इसलिए तुम कल सुबह ससुराल निकल जाना । सुबह से ही मां ने खाना बना कर पैक कर दिया था  फिर झोले में खाना  रखकर कहां था बेटा रास्ते में कहीं भी कुआं मिलें तब वहां दोपहर का भोजन करना और फिर कही रास्ते में कोई भी देव स्थान दिखाई दे तब दर्शन जरूर करना फिर जिस जगह मतलब रास्ते में  सूर्य देव अस्त हो वहीं रात्रि विश्राम करना फिर सुबह आगे कि यात्रा करना आदि निर्देश दिए थे । भोला मात भक्त था मां के सारे निर्देशों को ध्यान में रखकर उसने...

लालची पत्नी

सांध्य काल का समय था वातावरण में ठंडक मौजूद थी चूंकि जाड़े के दिन थें पिछले दो तीन दिन से शीत लहर चल रही थी जो हाड़ कंपा देने वाली थी ऐसे ही मौसम में राकेश मोटरसाइकिल से दफ्तर से घर के लिए रवाना हुआं था हालांकि उसके देह पर गर्म कपड़े थे कानों पर गर्म टोपा था फिर उसके उपर हेलमेट पहने हुए था परन्तु हाथों के दस्तानों को वह सुबह  घर पर ही भूल आया था तभी तो कभी एक हाथ से हैंडल पकड़ कर मोटरसाइकिल चलाता था दूसरे पंजे को जैकेट कि जेब में रख देता था जिससे कुछ पलों के लिए उसे गर्माहट महसूस हो रही थी चूंकि उसे घर जानें कि जल्दी थी पर शाम को आज ट्राफिक ज्यादा उसे समझ में आ रहा था चौराहों पर सिग्नल रेड लाइट होने पर वह मोबाइल फोन से पत्नी को काल करता था परन्तु उसका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था तभी तो किसी अनहोनी कि शंका से घबरा रहा था  खैर जैसे ही वह घर पर पहुंचा था दोनों ही बच्चे बाहर बैठे रो रहें थें बेटी पांच साल कि थी व बेटा दो साल में चल रहा था  दोनों ही ठंड में कांप रहे थे उनका रो रो कर बुरा हाल था राकेश ने दरवाजा खोला था फिर दोनों बच्चों को गोद में उठा कर विस्तर पर रजाई से ढक दिया थ...

"में लेखक हूं";कविता

 जी हां मैं लेखक हूं  में  हू कल्पना लोक में  पहुंच जाता हूं बिन प्लेन मंगल ग्रह  रचाता हूं चांद पर बस्तियां  खोजता हूं ओक्सीजन ओर पानी  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।। मेरे पास है संवेदना कोमल हृदय  जो गड़ता रहता है नित नए  विचार और अविष्कार  शब्द है अपरम्पार  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं।। मैंने ही लिखें है बेद पुरान और गीता  जो दिखाते हैं मानव को राह  मेरा ही है रामचरितमानस महाकाव्य  मे सूरदास भी हू https://www.kakakikalamse.com/2020/12/blog-post_81.html   टालस्टाय  गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर हूं  मुंशी प्रेमचंद का कथा संसार  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।। में ऐक शिल्पी हूं  हू शब्दों का आर्किटेक्ट  में ही हूं महान विज्ञानिको  न्यूटन का सिद्धांत  में समय हूं  क्यों कि में ऐक लेखक हूं ।। मैंने ही कि थी खोज  बिजली और परमाणु बम  मैंने ही कि थी सो सौरमंडल के नव गृह  जो देते है हमें नयी ऊर्जा  बताते है जीवन मंत्र।। मेरी नजर में है राम बुद्ध महावीर जीसस और अल्लाह ऐक सम...

"में लेखक हूं";कविता

 जी हां मैं लेखक हूं  में  हू कल्पना लोक में  पहुंच जाता हूं बिन प्लेन मंगल ग्रह  रचाता हूं चांद पर बस्तियां  खोजता हूं ओक्सीजन ओर पानी  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।। मेरे पास है संवेदना कोमल हृदय  जो गड़ता रहता है नित नए  विचार और अविष्कार  शब्द है अपरम्पार  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं।। मैंने ही लिखें है बेद पुरान और गीता  जो दिखाते हैं मानव को राह  मेरा ही है रामचरितमानस महाकाव्य  मे सूरदास भी हू https://www.kakakikalamse.com/2020/12/blog-post_81.html   टालस्टाय  गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर हूं  मुंशी प्रेमचंद का कथा संसार  क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।। में ऐक शिल्पी हूं  हू शब्दों का आर्किटेक्ट  में ही हूं महान विज्ञानिको  न्यूटन का सिद्धांत  में समय हूं  क्यों कि में ऐक लेखक हूं ।। मैंने ही कि थी खोज  बिजली और परमाणु बम  मैंने ही कि थी सो सौरमंडल के नव गृह  जो देते है हमें नयी ऊर्जा  बताते है जीवन मंत्र।। मेरी नजर में है राम बुद्ध महावीर जीसस और अल्लाह ऐक सम...

मुक्ति

 हे मानव.  तुझे देवता ने  भेजा है  तेरा जनक तेरी मां पिता  के शुक्राणु या अंडाणु है यह तो  विज्ञान की भाषा है हालांकि यह सही है कि जब  मिलती है दो.देह भले ही बे जानवर पशु पंछी कि हो  या किसी कीट पतंग का  या किसी   हाथी शेर का दो शरीर मिलकर करते है. सृजन  आता है उनका अंश जो ले कर देह हाड़ मांस कि   जीवन जीता है  अपने कर्म पर  पर  पृथ्वी लोक पर आकर भूल जाते है अपने आप को  किसी के अंश का  उस कामोत्तेजक समय के भाव  से हो जाता है सृजन . नवजीवन के अजीवन   मन मस्तिष्क पर कि कभी बनता है. वह जानवर. कुत्ता. कोई कुत्ती  कोइ गाय  कोइ सांड  कोइ भैस  कोई भैंसा. कोई कीट कोई  पतंग कोई  कैंसर का   कीड़ा  कोई बनता है बवासीर कि पीड़ा पर उनका जन्म भी तो दो शरीर  से हुआ है । शायद उस समय जब  हमारे जन्म दाता  कामदेव के वशीभूत होकर कामोत्तेजक समय में जल रहें थे अपनी देह  ज्वाला शांत कर रहे थे  क्या तुम्हें पता है मेरे  देवता ...

पैसे कि दुनिया

  भादों का महिना था शाम से ही मेघ गर्जन करते हुए मूसलाधार बारिश कर रहे थे शहर कि सड़कों पर पानी ही पानी नजर आ रहा था इस मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त था निचली बस्तियों में पानी घरों कि दहलीज से अन्दर प्रवेश कर रहा था  जहा ऐसी घनघोर वर्षा से कुछ लोग परेशान थें वही कुछ लोग ऐसे सुहावना मौसम का आनन्द ले  रहे थे शहर कि शराब दुकानों पर भीड़ थी बार अहाता पियक्कड़ों से भरें हुए थे ऐसे ही मौसम में राजू ने ए सी आहता मे प्रवेश किया था उसने खोजी निगाह से मुआवना किया था दर असल वह खाली टेबल खोज रहा था उसकि खोज पूरी हुई थी दर असल एक टेबल पर एक ही सज्जन शराब के पैग हलक में उतार रहे थे  चेहरे से धनाढ्य लग रहें थे जैसे कि अधेड़ अवस्था में भी चेहरे पर तेज था रो बिला था  चेहरे मोहरे से ही पैसा वाले दिखाई देते थे राजू ने व्हिस्की व्हिस्की कि बोतल टेबल पर रख कर कहा जी नमस्ते भाई साहब  हां हां नमस्ते सज्जन पुरुष ने राजू के उपर सरसरी निगाह डाल कर कहा था । क्या मैं यहां बैठ सकता हूं राजू ने कहा  जी बिल्कुल आप बैठिए   राजू ने वेटर को सोड़ा गिलास भुना हुए च...

खुशियां का संसार

बेटी तेरी उम्र ही क्या है पच्चीस में ही तो चल रही है एक बच्चे कि ही तो मां है देख बेटी मेरी बात मान ले तेरी सारी उम्र अभी पड़ी है जीवन कि कठिन डगर बहुत दुःख दाइ हैं तू कह तब मैं रिश्ते कि बात करूं विनीता से उसकी सास ने कहा था ! मम्मी जी आपसे कितनी बार कहूं शादी के लिए सोचना ही हमारे लिए पाप है में शुभम् कि यादों के सहारे ही अपना जीवन व्यतीत कर लूंगी  हां लगता है कि आप लोगों पर में बोझ बन रहीं हूं आप चिंता न करें मैं पड़ी लिखीं हूं कहीं भी नौकरी कर लूंगी ऐसा मत कह मेरी बच्ची तुझे तो पता ही है हम दोनों ही अभी सरकारी नौकरी में हैं हमें अच्छी तनख्वाह मिलती है बेटी मेरी एक ही संतान थी वह विधाता ने छीन ली अब तेरे और मुन्ना के सिवा मेरा कोई नहीं है यह कहकर दोनों ही रोने लगी थी । विनिता कि शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी चूंकि लड़का भी आइ टी कम्पनी में साफ्टवेयर इंजीनियर था फिर लड़के के माता पिता भी दोनों ही अध्यापक थें छोटा परिवार था यह देखकर उसके पिता ने धूमधाम से व्याह कर दिया था दहेज में लाखों रूपए कार दी थी चूंकि विनिता भी हिंदी साहित्य से पोस्ट ग्रेजुएट थी पी एच डी कर रहीं थीं तब उसने शर्...

नौकरी से मुक्ति

यूं  मुक्ति के अनेकों अर्थ है यानी मुक्त होने के जैसे कि कर्ज से मुक्ति,मन कि चिंता से मुक्ति, ,जीवन से मुक्ति इत्यादि पर ठाकुर साहब उस थकाऊ नौकरी से मुक्ति पाना चाहते थे जहां पर समय का कोई भी हिसाब किताब नहीं था , जहां का स्टाफ के कुछ सदस्यों को इंसान से कोई भी लेना देना नहीं था उसका कारण यह था कि बे कंपनी कि तरफ से पड़  लिखे इंजीनियर थे यानी किसी के पास सिविल इंजीनियर का डिप्लोमा था या फिर डिग्री पर भले ही धरातल पर काम करने में बे सब जीरो थे पर कंपनी के अफसर उन्हें ही ज्यादा इज्जत देते थे  उन्हें ही ज्यादा पावर दिए गए थे जैसे कि सुपरवाइजर फोर मेन से ज्यादा से काम लेना मजदूरों को इंसान नहीं समझना , ठेकेदार से कमिशन लेंना आदि ठाकुर साहब कंट्रक्शन कंपनी में सीनियर सुपरवाइजर थें उनका नाम नरेंद्र सिंह ठाकुर था बड़े ही सरल हृदय व दयालु थे साथ ही मेहनत कश कर्मठ, ईमानदार इसी के कारण वह मालिक लोगों के खासमखास थें उन्हें बहुत सारी जिम्मेदारी दी गई थी जैसे कि मटेरियल पर नजर रखना उसकी क्वालिटी चेक करना साइट कि अन्य व्यवस्थाएं फिर कंट्रक्शन के हर आइटम कि क्वालिटी कंट्रोल करना इत्याद...