उसने चाय बना दी थी दोनों ही नीचे चटाई पर बैठकर चाय कि चुस्कियों लें रहें थें व एक दूसरे को निहार रहे थे कुछ देर बाद विनय कुमार ने कहा था कि आप बुरा नहीं माने तब में आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी पेंटिंग जो आप देख रहीं हैं वह अधूरी है मैं उस पेंटिंग को आपके सहयोग से ही पूरा कर पाऊंगा जैसे कि गुलाबी शुष्क अधर , उन्नत वक्ष,पतली कमर,कमर वह फिर कुछ देर के लिए नग्न हो सकती है मेरा मतलब.... करूणा यूं तो सैकड़ों बार अलग अलग पूरूसो के साथ नग्न हो चुकी थी लेकिन उसे न जाने क्यों आज शर्म आ रही थी करूणा ने सालीनता से जी नहीं विनय कुमार को शायद जी नहीं जबाब कि उम्मीद नहीं थी उसका चेहरा उदास हो गया था कुछ सोचने लगा था तभी करूणा ने कहा था कि आज नहीं फिर कभी अच्छा आज आप मेरे साथ मेरे फ्लेट पर चलेंगे सहसा ऊसे याद आया था कि आज तो उसकी होटल ब्लू रोज में फुल नाइट कि बुकिंग फुल सर्विस के साथ थी पैसा भी लाखों मिल रहा था उसने मोबाइल निकाल कर संबोधित पुरूष को तीन दिन बाद मिलने का यू कहकर कि वह महीने से हैं जैसा आप चाहते हैं बैसी सर्विस नहीं दे पाऊंगी इसलिए तीन दिन बाद व्हाट्सएप पर मैसेज भेज दिया था प्रत
अर्थ रात थी नींद में था सपनों के कि दुनिया में था न थी देह कि खबर न हि था व्यापार हानि लाभ का भय न था परिवार का गुमान पुत्र पत्नी बहू बाबूजी मां का खयाल बस था ऐक ही काम आराम आराम । सहसा अंतरात्मा सपने मैं आई थी बोली तू ठग है समझें. मैंने जबाव दिया पगली. क्यों ऊलजलूल बक रहीं है तुझे नहीं मालूम कि तू ही तो मेरे अंदर हैं वह मुस्कुराई बोली पगले मै देती हूँ ऊतर मैं हू परमात्मा का अंश कुछ ही छणिक मैं आती हूँ तुझे नहीं मालूम मैं हूँ परमात्मा का अंश प़तिबंम मुझसे रहां नहीं गया पलट कर कहाँ अरे बावली क्यों भूल जाती मैं भी तो हूँ परमेश्वर का परमाणु ऊन्हीने तो मेरी देह मैं अपना अणु दान किया है. जिसे कहते हैं प्राण जिसका घर हैं हाढ मांस. हडडिया कि है नीवं. पवन पानी से अन्य से बना हुआ है घर. मांसपेशियों का है परकोटा शिर को कहते है ब्रह्मरंध जहां रहता हूँ मैं फिर बीचोबीच है मेरा सेनापति जिसे कहते है ह़दय जो धडकनों से कराता है मुझे ऐहसास कि तू जिंदा हैं खैर तू क्या समझ मत ऊलझ मुझे बता. कि मै ठग कैसे हू ?? अंतरात्मा कान मै फुसफुसाते हुये बोली तेरे हाथ में रहता है