" मैं ठग हूँ " काका की कविताएं
अर्थ रात थी नींद में था सपनों के कि दुनिया में था न थी देह कि खबर न हि था व्यापार हानि लाभ का भय न था परिवार का गुमान पुत्र पत्नी बहू बाबूजी मा…
आपके लिए परिवारवाद,, सामाजिक, आर्थिक,जल,जंगल, जमीन,के लिए लिखी कविताएं व,लेख रोमांटिक,लिव इन रिलेशन, पति पत्नी,धोखा, अवेध संबंध, किसान, गरीब, मजदूर, मध्यम वर्ग, पर आधारित अपनी सी कहानियां का पिटारा ।।
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