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अरे ओ विधाता अरे ओ दाता अरे ओ मेरे जीवन के श्रेष्ठ अनमोल रत्न जरा सुन क्या कह रहा मेरा यह मन कल तेरी अचानक बगैर किसी आभास के एक अनजानी अनदेखी अनसुनी …
आपके लिए परिवारवाद,, सामाजिक, आर्थिक,जल,जंगल, जमीन,के लिए लिखी कविताएं व,लेख रोमांटिक,लिव इन रिलेशन, पति पत्नी,धोखा, अवेध संबंध, किसान, गरीब, मजदूर, मध्यम वर्ग, पर आधारित अपनी सी कहानियां का पिटारा ।।
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प़भु तेरी प़ेम भरी मुस्कान से तेरी प़ेम से भरी जवान से में हृदय से धन्य हो गया चाहें जब चाहे जहां सुन्दर सुहावने स्वप्न में खो गया यदि तू नहीं होता …
हाथ पांव का अभाव इन झाड़ो को हैं सता रहा अपने मिट जाने का नव भाव सता रहा तब आस्तिक हो सबके सब प़ाथना करने लगे। प्रार्थना खाली नहीं जातीं यह सब कहने…
दूर धुंधली धुंधली पहाड़ी उसको चूमता आलिंगन करता आसमान। कोई कहता मुझसे उस पहाड़ी पर बैठी आत्मा लगा रही तुम जैसा अनुमान। इससे एक आवाज उठती चुपचाप अपने…
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं है ज़िन्दगी बहुत कुछ भी हैं जिंदगी जिंदगी जो प्यार बन के मस्ती जगाती हैं। ज़िन्दगी कभी गली में कभी डगर में कभी मुहल्ले में कभी…
कुछ भी नहीं यहां जिसे कह दूं यह हमारा है सोचा था कभी दिल है मेरा आज वह भी तुम्हारा हैं। औरों का दिया हुआ नाम नहीं लगता यह प्यारा है। नफ़रत है मुझे उ…
मन्दिर रोज जाता रोज रोज दर्शन करता दिन हो या फिर रात जब समय मिलता जितने देबी देवता दर्शन देते मे अपलक देखता आनंदित हो अपने आपको न जाने कितना सौभाग्य …
तुम सुनो हम सुनें उसे भी सुनाये सुन सुन कर हम गहरे और गहरे में जाए उतरे अपने आप में झांके अपने आप में सुने अपने आप कि शायद वह सुनना सबसे कठीन साबित …
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