Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2021

Featured Post

सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

गुलाब का फूल .

तुम्हें बन ऊपवन जा खोजा  पर पा नही सका तेरा जबाब । तू तो वहां मिला  शहरों मैं कस्बे से बहुत दूर कच्ची पंगडंडी के पार  जहां न मोटर साइकिल पहुंचे  न  ही बस कार  न आलीशान भवन. न महापुरुषो कि भीड़  जहां न कवि न कलाकार. जहां न रोशनी. न वह फैशन  जिसकी लपेट मे  आ गया संसार ओ काले गुलाब  वहा इनसान अपना  अतीत भविष्य भूल अनाडी सा  कबाड़ी सा  शराबी सा. कचरे का ढेर खरीद रहा.  मोल कर रहा  ऊन बातों का  ऊस समाज का. ऊस साहित्यि का  जिसका  से ,  वास्तविकता नहीं  पर अंधेरे में खो जाने का , इससे अच्छा रास्ता नहीं ।। ओ काले गुलाब  तुम वहां मिले ,जहां बरसात  मे कीचड़ भरे रास्ते  बिना छाता के  टाट से या काठ के  पत्तों से अपने को बचाते नर  पानी से भरे मिट्टी के घर. जो बरसात मैं भीगते  है  ठन्ड मे ठिठरने को मजबूर. करते हैं  गर्मी कि ऊमस  और लू लपटें से  चाहे जब  अपने आप को तपाते है  पर अपने सहने कि छमता पर  फिर परमात्मा पर  अगाध विश्वास कर क...

बेटा

    यूं तो रत्न लाल ने जीवन मैं सब कुछ हासिल कर लिया था दो बेटे थे बडा बेटा  चुन्नीलाल आईएएस अफसर था . वहीं छोटा बेटा मुन्ना लाल सेना मै कर्नल जैसे बढे पद पर आसीन था शादी के लिए बिरादरी से बहुत रिश्ते आ रहे थे दहेज कार नगद रूपये का  प्रलोभन दिया जा रहा था रतनलाल भी चाहता था की बिरादरी में ही शादी हो  समाज वालों को उसकी हैसियत का पता चले आखिर क्यों ना हो बड़ा बेटा जो  कलेक्टर था शादी संबंध के रिश्ते आने पर रतनलाल ना तो पढ़ी लिखी लड़की.देखता  पर हां वह कुल खानदान दहेज पर जोर देता था कभी कभी तो मूछ पर ताव देकर मेहमान के सामने अपने बेटों की काबिलियत का बखान कर ऊनहै अपनी हैसियत बता कर जलील करता था खैर जब भी वह लडकों से शादी संबंध के चर्चा करता तब बेटे टाल देते थे फिर एक दिन दोनों बेटे ऐक सप्ताह की छुट्टी लेकर घर आ गए थे मौका अच्छा देख रतनलाल ने.चर्चा करने का मन बना लिया था । ठंड का मौसम था सुबह सात बजे धुधं अपनी चरम सीमा पर कहर बरपा रहीं थीं साथ ही शीतलहर  ऐसे मौसम में रतन लाल जी. आंगन में अलाव जलाकर अपने आप को गर्म रख रहे थे. तभी दौनों बेटे नित्य...

" मैं ठग हूँ " काका की कविताएं

अर्थ रात थी नींद में था  सपनों के कि दुनिया में था  न थी देह कि खबर न हि  था  व्यापार हानि लाभ का भय  न था परिवार का गुमान  पुत्र पत्नी बहू बाबूजी मां का खयाल  बस था ऐक ही काम आराम आराम । सहसा  अंतरात्मा सपने मैं आई थी  बोली तू ठग है समझें. मैंने जबाव दिया पगली.  क्यों ऊलजलूल  बक रहीं है  तुझे नहीं मालूम  कि तू ही तो मेरे अंदर हैं  वह  मुस्कुराई बोली पगले मै देती हूँ ऊतर  मैं हू परमात्मा का अंश  कुछ ही छणिक मैं आती हूँ  तुझे नहीं मालूम  मैं हूँ परमात्मा का अंश प़तिबंम  मुझसे रहां नहीं गया  पलट कर कहाँ अरे बावली  क्यों भूल जाती मैं भी तो हूँ  परमेश्वर का परमाणु  ऊन्हीने तो मेरी देह मैं अपना  अणु दान किया है. जिसे कहते हैं  प्राण जिसका घर हैं हाढ मांस. हडडिया कि है नीवं. पवन पानी से अन्य से  बना हुआ है घर.  मांसपेशियों का है परकोटा  शिर को कहते है  ब्रह्मरंध जहां रहता हूँ मैं  फिर बीचोबीच है मेरा सेनापति  जिसे कहते है ह़दय  जो...

डी एन ए कहानी

 यो तो जनवरी महीने के आखिरी सप्ताह तक सर्दी के साथ कोहरा अपने चरमोत्कर्ष पर रहता है पर पर्यावरण के लहज़े से कभी कम कभी ज्यादा रहता है हालांकि कोरोनावायरस के काल में सर्दी गर्मी कोई मायने नहीं रखती क्यों कि इस काल में हार्ट अटेक ब्लड प्रेशर निमोनिया कैंसर सुगर जैसी लाईलाज   ओर अन्य बिमारी का कहीं भी नामोनिशान नहीं है सरकार के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का पूरा ध्यान कोबिड 19 पर है भाई साहब क्यों न हो सरकारी अमला का कोइ भी कर्मचारी इस काल में यम लोक पधारे भले ही कोई बीमारी हो घर वालों को पचास लाख रूपए तो मिलना ही है साथ ही अनुकंपा नियुक्ति अब भला परिवार का कोई भी व्यक्ति क्यों प्रश्न चिन्ह खड़ा करेगा ?? खैर तेज सर्दी कोहरे को देखकर रसिकलाल का मन बिस्तर छोड़ने को तैयार नहीं था कारण रात्रि अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से दिमाग हैंग हो रहा था या यूं कहें कि दिमाग अमेरिका इंग्लैंड यूरोप कि यात्रा कर रहा था दूसरा कारण रसिकलाल मदहोश होकर अपनी प्राण प्यारी मिस अनुराधा से व्हाट्सएप पर ओन लाइन होकर ऐक दूसरे के तन बदन या और कुछ .....,?? रसिकलाल के...