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सेठजी यूं तो पचपन साल कि उम्र के थें दांडी बाल सब सफेद हो गये थें फिर भी वे काली डाई कर कर बाल काले रखतें थें और नियमित योगासन करके या फिर जिम में जाकर अपने आप को फिट रखने को तत्पर रहते थे हालांकि लाख कोशिश के बाद भी उनका पेट बड़ा हुआ ही था कर्मचारियों से मित्रों से अपने शरीर के फिटनेस के लिए पूछते तब मुस्कुरा कर उन्हें जबाब मिलता था कि अजी आप तो अभी जवान हैं इस उम्र में एसी फिटनेस हजारों में से एक ही व्यक्ति को मिलती हैं भाई साहब इस समय में अनाज और सब्जियां कहां असली खाने को मिलती हैं आप के पास तो सैकड़ों एकड़ जमीन हैं आम अमरूद जामुन के बाग हैं और कुछ एकड़ में तों देशी गोबर डालकर खेती करवाते हैं साथ ही आर्गेनिक सब्जियां भी उगाते हैं सबसे बढ़िया खुद और अपने आस पास के रिश्तेदार मित्रों को भी भेंट करते हैं इसलिए आप इस उम्र में भी एकदम जवान लगते हैं कुछ चाटुकार कहते सेठजी कसम से अभी भी आप से कोई भी वयस्क लड़की खुशी-खुशी शादी करने के लिए हामी भर देगी और कुछ चाटुकार कहते क्यों नहीं क्यों नहीं यह गोरा रंग लाल गुलाब के फूल जैसा मुंह और लम्बा कसरती शरीर ऐसे शरीर को देखकर अप्सराओं का भी मन डोल

काला गुलाब भाग एक

ये काले ग़ुलाब   तेरा पौधा कहां है । पत्तियां झाड़ियों में हैं  कि नहीं कौन बताएगा । तेरे संघर्ष का तेरे त्याग का पुरस्कार बना परमात्म का एक लाल रंग से रंगा  अनेकों पंखुड़ियों कि जतन से  एक ऊपर से  गाता सा  इठलाता सा  मुस्कुराता फूल नजर आया । ओ ग़ुलाब के फूल  तुमने हां तुमने  जाने कितनी बातें  जाने कितनी शिकायतें  हमारे हमारे मन कि सुनी  जिन बातों को मेरे दोस्त भी नहीं  मेरे अपने भी नहीं  हमारे हम राज भी नहीं  सुन सके ,पर तुमने सुनीं  फिर मेरी अनगढ़ सी  अटपटी सी , बातों पर  शिकायतों पर विचार किया । मौन हो गम्भीर हों  मुझे था समझा दिया । कहा था उनमें कहना  यदि पूछें कभी   कि कुछ नहीं बोला  हमें देख हंसा  फिर शर्मा दिया । ओ ग़ुलाब के फूल कारण बता समझायो  तब बोला था  जाने कितने एहसान  से में दबा हूं इससे परमेश्वर से बुराई है  अपने आप से लड़ाई  स्वामी को चाहिए  सेवक करें बड़ाई  तब मैंने कहा था  घबराओ नहीं  हमारी उनसे बात  दिन में कभी सुनी हैं रात  हमें तों वे दर्शन भी नहीं देते । हम है कभी भी जबरदस्त दर्शन कर लेते । सारे दुनिया से जानें  क्या क्या कह लेते । यह सुन फूल एकदम हंसा  संकोच मिटा