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Showing posts from June, 2023

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सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

ससुर जी का दूसरा विवाह समाजिक कहानी

 आजकाल नीता ससुर जी के व्योहार में अलग तरह का परिवर्तन देख रही थी जैसे कि जब वह किचन में खाना पकाने में व्यस्त रहतीं तब अनावश्यक ही वह किसी न किसी बहाने से आ जाते व जब वह बाथरूम में नहाने जाती तब उसे लगता था कि जेसै कोई दरवाजे कै ऊपर लगे रोशन दान से झांकने कि कोशिश कर रहा है व जैसे कि जब वह पति के साथ अंतरंग पलों में होती तब खिड़की के पास कोई खड़ा होकर अन्दर के दृश्य को देखने कि कौशिश कर रहा होता हालांकि उसने यह सब अपने मन का बहम समझ कर दिमाग से निकाल दिया था परन्तु हद तो तब हो गई थी कि वह बेडरूम में कपड़े बदल रही थी तभी ससुर जी ने गेट को हल्का सा धक्का देकर अन्दर झांका था उसने हड़बड़ी में बैड सीट से अपनी देह को ढक लिया था वह कुछ छड़ों के लिए किरतबय मूड होकर खड़ी रह गई थी खैर कुछ देर बाद कपड़े पहन कर वह डाईंग रूम में पहुंची थी ससुर जी टेलीविजन पर समाचार देख रहे थे उसने कहा कि आप को कुछ काम था क्या आप को दरवाजा खटखटा कर आना चाहिए था में कुछ दिनों से आप के अजीब व्यवहार को देख रही हूं छी छी आपकों शर्म भी नहीं आतीं ऐसी छिछोरे पन दिखाने में मैं आपकी बहू हूं और बहू बेटी के समान होती है स...

चांद और आकाश का प्यार

 सूने आकाश में जब चांद का आगमन होता तब आकाश सौभाग्य शाली हों उठता और गर्व के साथ सीना तान कर बड़ी विनम्रता से कहा करता हम फिर धन्य हो गये  हमारे धीरज ने हमारे विश्वास ने  हमारे आत्मिय प्रेम ने  चांद को मजबूर कर दिया मेरे जैसे काले से भूरे से नीले से  टूटे फ़ूटे बगैर नीव के बगैर सहारे के बेकार से शून्य से  बनें हमसे चांद को मिलने को  और तो और यह भी सुन लो जब चांद आकाश से रूठ कर चला जाता जब भी दुबला पतला हो आ जाता तब यह आकाश रोज नीरवता में चांद को तड़प तड़प कर अपने दामन में लगे गहरे घाव बताता जो न जाने किन किन ने  प्यार और विश्वास के  नाम दिए हैं और जब आकाश कह उठता कि यह घाव भी बहुत प्यारे लगते हैं तब वह चांद जिसे सारा संसार प्यार करता हैं पर गले लगाने को गीत बनाने को त्याग नहीं करता तब आकाश का हौसला जान खुश हो कर कहता मेरे प्यारे आकाश में भी बहुत धोखे खा चुका इस संसार में बहुत कुछ गंवा चुका पर न जाने क्यों तुम्हारा निश्छल प्रेम देख तुमसे मिलने को तुम्हारे साथ रहने को बार बार कहता हैं इससे तुम्हारा विराट त्याग तुम्हारा निश्छल प्यार रोज तुम्हारे...