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Showing posts from August, 2022

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सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

सच्चा दोस्त

 यूं तो दोस्ती का आजकल के अर्थ युग में निर्वाह करना मुश्किल काम है दोस्त चाहते हुए भी एक दूसरे का साथ नहीं दे पाते हैं उसका कारण यह है कि हर रिश्ते को लाभ हानी के तराजू पर तौल दिया जाता है परन्तु कुछ दोस्त आज भी ऐसे हैं जिन्हें लाभ हानी गरीब अमीर से कोई भी मतलब नहीं रहता वह तो दिल से एक दूसरे के सुख दुःख में साथ देते हैं ऐसे ही मेरे दोस्त  फारूक खान  थें मेरे बहुत पुराने मित्र थें उनसे वर्षों तक मुलाकात भी नहीं हुई थी उसका कारण यह था कि में रोज़ी रोटी कि तलाश में अपने गांव  से दूसरे शहर चला गया था और वह अपने ही गांव के नजदीक शहर में रहते थे लगभग पन्द्रह साल तक हमारे बीच न ही कोई पत्र व्यवहार न ही मोबाइल फोन पर बातचीत कुछ भी नहीं हुई थी मतलब हम दोनों अपनी अपनी दुनिया में मस्त हो कर एक दूसरे को लगभग भूल ही गए थे  । कोरोनावायरस महामारी ने सारे संसार को अपनी गिरफ्त में लेकर जन धन कि व्यापक तौर पर तबाही मचाई थी लाखों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया था बड़ी बड़ी कंपनिया का व्यापार डूब गया था  मैं भी व्यापारी था जिस कंपनी से काम लिया था वह घाटे में पहुंच गई थी ऐस...

भय

 सेठ कर्म चन्द के पास यूं तो भगवान की कृपा से सब कुछ था चार बेटे थें सुंदर समझदार बहूएं थी नाती नातिन थें भरा पूरा परिवार था बड़ा कारोबार था नौकर चाकर गाड़ी बंगला सब कुछ था परन्तु फिर भी उनके मन में डर समाया हुआ था दरअसल उन्हें सपने में कभी अपनी मृत देह दिखाई देने लगती थी जो कि पोर्च में जमीन पर रखीं रहतीं उस पर सफेद कपड़ा ढका हुआ था बाहर धीरे धीरे उसके मिलने जुलने वाले कुछ रिश्ते दार इकट्ठे हो जाते हैं जो कि उसकि कभी कभी एक स्वर में बुराई करते थे तब कभी अच्छाई कुछ अर्थी सज़ा रहे थे पर उनके बीच उनके बेटे बहूएं नहीं दिखाई दे रहे थे वह उन्हें खोजने के लिए अंदर पहुंच गए थे देखते हैं कि बेटे आपस में उनकी वसीयत पर लड़ रहे थे बहुएं उन्हें कोष रहीं थीं जैसे कि बुड्ढा बहुत बेइमान निकला बंटवारा इमानदारी से नहीं किया नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी  उन्होंने अपनी अर्धांगिनी को भी देखा था जो अपने कमरे में अलमारी तिजोरी में बढ़े बढ़े ताला लगा रहीं थीं  इस प्रकार के सपने में उन्हें विचलित कर दिया था अब तो बे नींद लेने से ही डरने लगे थे परन्तु नींद तों नींद ठहरी लाख दूर करने पर भी आ जाती थ...

मोबाइल कि रंगीन दुनिया

कल्याणी अपना फेसबुक एकाउंट देख रही थी उसमें बहुत सारे फ़ेनड रिक्वेस्ट के नोटीफिकेशन थें लगभग दो सो के आस पास रहें होंगे जो अधिकांश युवा लडको से बूढ़े पुरुष के थें वह मन ही मन बोलीं थी न जाने इन लोगों की कैसी सोच हों गयी कोई लड़की या शादीशुदा महिला कि फोटो दिखाई दी तब धड़ाधड़ फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं वह सभी को देख रहीं थीं हालांकि उसमें कुछ उसकी पुरानी सहेलियों व जान पहचान वाले भी थी वह उन्हें मित्र बनाती जाती थी और अनजान लोगों को रिजेक्ट कर रहीं थीं परन्तु एक फोटो पर उसकी नजर ठहर गई थी जो युवा सुंदर सजीला जवान लड़का था उसने उसकि प्रोफाइल को खोलकर उसके बारे में सब जाना था फिर उसकि पोस्टें भी देखीं थीं सभी पोस्टें उसे अच्छी लगीं थीं तभी तो उसने उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी अब वह मित्र थें कुछ देर बाद उसके मैसेंजर पर हाय नमस्ते का मैसेज आया था उसने रिप्लाई दिया था चेटिंग चालू हो गई थी । हालांकि कल्याणी शादी शुदा थी दो बच्चों कि मां थी पति बिमलेश कुमार भी सुंदर समझदार था सबसे बड़ी बात वह अच्छा कमाता था क्योंकि उसकी परचून कि दुकान बीच बाजार में थीं उसके मधुर व्यवहार से दुकान अच्छी ...

प्रेम विवाह और समाज

सुबह का समय था जाड़ों के दिन थे कोहरा छाया हुआ था वातावरण में शीतलहर चल रही थी जिससे हड्डियां पी कंपकंपा रहीं थीं ऐसे में अधिकांश लोग गांव में गाय भैंस कि सेबा कर दुध निकालकर भूसा खली डाल कर या तो विस्तर में रजाई में दुबके हुए थे या फिर अलाव जलाकर अपने शरीर को गर्म रख रहे थे कुछ लोग चाय के साथ गरमागरम मूंग दाल की चटपटे खा कर ठंडी का जश्न मना रहे थे कुल मिलाकर यह कोहरे के कुछ दिन किसानों को जी तोड़ मेहनत करने से छुटकारा दिला रहे थे गंगा राम बरामदे में अलाव जलाकर हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे सहसा उन्होंने बड़े बेटे घना राम को आवाज देकर कहा जरा मोबाइल फोन तो लाना देखो तो चेना राम कितना लापरवाह हो गया है एक हफ्ते से कोई खैर खबर ही नहीं दी अभी बच्चू कि ख़बर लेता हूं लगता है बच्चू को दिल्ली कि हवा लग गई है अभी सारे भुत उतार ता हूं गंगाराम ने मूंछों पर ताव देकर कहा था । चेनाराम छोटा बेटा था जो दिल्ली शहर में रहकर किसी कोचिंग संस्थान में पी एस सी , आई ए एस कि तैयारी कर रहा था पढ़ने लिखने में अव्वल था साथ ही देखने सुनने में भी सुंदर था दोहरे बदन का मालिक था बचपन से ही कसरत कर शरीर को मजबूत बना लिया ...

"तलाक" "पत्नी के त्याग समर्पण की कहानी

सावन माह में वर्षांत होना तो आम बात है परन्तु इस बार जरूरत से ज्यादा बारिश हो रही थी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया शहर के हर उस हिस्से को जहां जल भराव ज्यादा था पत्रकार छाता लगाकर घुटने तक पानी कि तस्वीरें चीख चीख कर बयां कर रहे थे उनके अनुसार मानों धरती जल में समां जाएगी  खैर ऐसी ही घनघोर वारिस में नीलमा आठवें माले पर स्थित फ्लैट कि खिड़की के पास कुर्सी पर बैठी हुई पति का आने का इंतजार कर रही थी वह बार बार दीवाल घड़ी पर नज़र डाल रहीं थीं अर्ध रात्रि हो गई थी साढ़े बारह बज रहे थे परन्तु अभी तक नहीं आएं थें मन में नाना प्रकार के विचार पनप रहे थे कहीं कोई दुर्घटना नहीं ऐसा नहीं सोचते पर फोन भी तो नहीं उठाते अब क्या करूं तभी दूर कार कि हैडलाइट कि रोशनी दिखाई दी थी थोड़ी देर बाद कार गेट के अंदर पहुंच गई थी अब उसे तसल्ली हुई थी ज़रूर गौरव ही आ रहें होंगे । डोरबेल कि घंटी बजी थी उसने डोरबेल के आइ सीसे से आंगतुक को देखा था फिर दरवाजा खोला था आंगतुक के हल्के हल्के कदम लड़खड़ा रहें थें नाक के दोनों नथुनों से सिगरेट शराब कि मिली जुली  गंध आ रही थी आंगतुक सोफे पर बैठ गए थे । आप आज फि...

"मंगल गृह"विता मानव समाज का नया बसेरा

मार्स गृह या  यो कहें लाल गृह  तुम बहुत बहुत दूर थें  असंख्य तारों गृह के  बीचों-बीच रहस्यमय  रूप से छिपें हुए थे । फिर भी हमनें तुम्हें खोज लिया  आप कि  सीमा को पार कर  हम अपने यंत्रों, से  तुम्हारे  पास पहुंच गए  तुम्हारे सब रहस्य लोक का  अध्यन किया । अब कहो तुम्हरा  घंमड  कहां रहा  कि हम छिपें हुए हैं  मानव हमें नहीं  ख़ोज सकता । अब कहो तुम्हरा  घमंड कहां रहा । हमने तुम्हारे दिल पर  अपने यंत्रों से  छेद किए  मिट्टी का परीक्षण किया  फिर धातुओं को खोजा । गैस जैसे कि कार्वन आक्साइड  या लीथीयम या फिर जिंदगियों जीने  के लिए आक्सीजन !! पता चला कि बादल भी हैं  जहां पर वे अपने  अनमोल कण   बिखरते हैं ।   शायद किसी गैस या फिर केमिकल  के हो सकतें हैं । ठीक है यह  आपकी रचनाएं हैं  पर तुमने जल को  छुपा रखा था । वह भी कुछ मीटर अंदर  हमने ढूंढ लिया  अब कहो मंगल ग्रह  तुम्हारे घमंड का क्या हुआ ?? हमारे यंत्रों ने तुम्हारे ...

"सबला"कविता.

 में ऐक आधुनिक युग कि नारी हूं में अबला नहीं सबला कहलाती हूं  मे उड़ाती हूं फाइटर प्लेन और चलातीं हूं  पानी के जहाज ! ट्रेनिंग लेकर थामती हूं हाथों में हथियार  करतीं हूं देश कि सीमाओं पर  दुश्मन का  संहार  रखतीं हूं मां भारती कि लाज क्यों कि मैं ऐक नारी हूं । सदियों पहले जन्म लेकर  कहलाती थी अभिशाप  मां को मिलते थे ताने और उलहाने  फल स्वरूप मिलता था तिरस्कार ! फिर भी मे मां कि रहतीं थीं लाडली पिता कि कहलाती थी लछमी त्योंहार पर पूजकर पांव  खिलाते था अच्छे अच्छे व्यंजन  यहीं तो दोहरा मापदंड का  समाज  क्यों कि मैं ऐक नारी हूं । स्कूल जाना  था मुश्किल काम  पढ़ कर क्या करोगी करना   पड़ेगा रोटी  चूल्हा जलाना सीखो रोटी बनाना सीखों  यही आएगा जीवन में काम  क्यों कि मैं ऐक नारी हूं। नाबालिग में रचते थे अधेड़ से शादी  जो रोज करता था मनमानी फिर बालात्कार  कहीं चढ़ती थी दहेज़ कि वली  कहीं बेच देते थे मां बाप  किसी  रहीश को कुछ रूपए में हजार  फिर वह नोंचता रहता था देह...