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सेठजी यूं तो पचपन साल कि उम्र के थें दांडी बाल सब सफेद हो गये थें फिर भी वे काली डाई कर कर बाल काले रखतें थें और नियमित योगासन करके या फिर जिम में जाकर अपने आप को फिट रखने को तत्पर रहते थे हालांकि लाख कोशिश के बाद भी उनका पेट बड़ा हुआ ही था कर्मचारियों से मित्रों से अपने शरीर के फिटनेस के लिए पूछते तब मुस्कुरा कर उन्हें जबाब मिलता था कि अजी आप तो अभी जवान हैं इस उम्र में एसी फिटनेस हजारों में से एक ही व्यक्ति को मिलती हैं भाई साहब इस समय में अनाज और सब्जियां कहां असली खाने को मिलती हैं आप के पास तो सैकड़ों एकड़ जमीन हैं आम अमरूद जामुन के बाग हैं और कुछ एकड़ में तों देशी गोबर डालकर खेती करवाते हैं साथ ही आर्गेनिक सब्जियां भी उगाते हैं सबसे बढ़िया खुद और अपने आस पास के रिश्तेदार मित्रों को भी भेंट करते हैं इसलिए आप इस उम्र में भी एकदम जवान लगते हैं कुछ चाटुकार कहते सेठजी कसम से अभी भी आप से कोई भी वयस्क लड़की खुशी-खुशी शादी करने के लिए हामी भर देगी और कुछ चाटुकार कहते क्यों नहीं क्यों नहीं यह गोरा रंग लाल गुलाब के फूल जैसा मुंह और लम्बा कसरती शरीर ऐसे शरीर को देखकर अप्सराओं का भी मन डोल

कोरोना चौथी लहर का डर लेख

मिडिया वार वार पड़ोसी देश कि भयावह तस्वीरें दिखा कर सावधान सावधान कह कर हमें चेतावनी दें रहीं हैं अब हमें खुद को परिवार को पड़ोसी को मुहल्ले को  शहर को प्रदेश या फिर देश को महामारी से जागरूक करना होगा कारण पहले हम सुरक्षित रहेंगे तभी तो परिवार पड़ोसी को जागरूक कर पाएंगे । हम सभी ने पिछली तीन लहर देख ली है उन लहरों में हमारे दोस्त , रिश्तेदार पड़ोसी अनायास ही काल के गाल में समा गए हैं इसमें किसी कि गलती नहीं थी गलती उनकि थी जिन्होंने  सरकार , स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश का पालन नहीं किया मिडिया के हवाले से सभी देशों कि सरकार ने अपने अपने नागरिकों को कोरोनावायरस गाइड लाइन का पाठ याद कराया पर काल के गाल में समां गये लोगों ने नहीं माना कुछ लोग तो उनकी गलती नहीं मानते सारा दोष सरकार पर या फिर डाक्टर पर या फिर अस्पतालों पर मढ कर अपने आप को आत्मसात कर लेते हैं यह उनकी सोच है परन्तु सच्चाई यह थी कि मरने वालों ने कोरोना को हल्के में लिया था खिल्ली उड़ाई थीं सरकार के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया था । यह तो तीन लहरों का भुत था अभी हम वर्तमान में हैं भविष्य हमारे हाथ में है हमें भूत से सीख

कोरोना बनाम डर परोसती मिडिया

 जी हां फिर से मिडिया  डर परोस रही है कोई भी न्यूज़ चैनल देखिए सुट बूट पहने एंकर गला फाड़कर चीख चीखकर सावधान सावधान अलाप रहें हैं मज़े कि बात तों यह हैं कि दूसरों को माक्स सेनेटाइजर का कहते हैं परन्तु खुद पर अमल नहीं करते हैं कारण शायद उनकि कोरोनावायरस से जान पहचान हैं खैर यह उनका व्यक्तिगत मामला है परन्तु हमें माक्स सेनेटाइजर का उपयोग ज़रूर करना है । कुछ चैनल पड़ोसी देश के अस्पताल में तड़पते हुए  मरीजों कि तस्वीरें विडीयो दिखा रहे हैं कुछ चैनल तो शमशान घाट पर लम्बी लम्बी कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले तो अपने स्वजनों कि अस्थियां लेने वाले कि कतारें दिखा रहे हैं कुछ चैनल वाले लम्बे लम्बे व्याख्यान देकर कोरोनावायरस फिर से कैसे आया उन देशों कि सरकार  कहा चूंकि उन्हें क्या करना था उन्होंने क्या किया ... उनके हेल्थ मिनिस्टर लापरवाह थें वहां कि वैक्सीन फेल हो गई आदि आदि  कुछ चेनल पर तों डेबिट हों रहीं हैं स्पेशलिस्ट अपना अपना अथाह ज्ञान का दान कर देखने वालीं आंखों को धन्य कर रहें हैं बचाव, उपचार के तरीके बता रहे हैं कुछ तो हमें क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए कितना खाना चाहिए कुछ तो