जी हां मैं लेखक हूं
में हू कल्पना लोक में
पहुंच जाता हूं बिन प्लेन मंगल ग्रह
रचाता हूं चांद पर बस्तियां
खोजता हूं ओक्सीजन ओर पानी
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।।
मेरे पास है संवेदना
कोमल हृदय
जो गड़ता रहता है नित नए
विचार और अविष्कार
शब्द है अपरम्पार
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं।।
मैंने ही लिखें है बेद पुरान और गीता
जो दिखाते हैं मानव को राह
मेरा ही है रामचरितमानस महाकाव्य
मे सूरदास भी हू https://www.kakakikalamse.com/2020/12/blog-post_81.html
टालस्टाय
गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर हूं
मुंशी प्रेमचंद का कथा संसार
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।।
में ऐक शिल्पी हूं
हू शब्दों का आर्किटेक्ट
में ही हूं महान विज्ञानिको
न्यूटन का सिद्धांत
में समय हूं
क्यों कि में ऐक लेखक हूं ।।
मैंने ही कि थी खोज
बिजली और परमाणु बम
मैंने ही कि थी सो
सौरमंडल
के नव गृह
जो देते है हमें नयी ऊर्जा
बताते है जीवन मंत्र।।
मेरी नजर में है राम बुद्ध महावीर जीसस और अल्लाह
ऐक समान!
क्यों कि मेरी रंगों में दौड़ता है खून
जिसका है रंग लाल
भला कोई अलग कर बताएं
उसे देता हूं चैलेंज बार बार
मेरी नज़र में सब मज़हब ऐक है
सभी हैं ऐक पिता कि संतान
हां कुछ पैदा कि गयी गलतफहमियां
यह है कुछ तथाकथित मानव का षड्यंत्र
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।।
मेरा जीवन है फक्कड़
तन पर रहते हैं वस्त्र
चिथड़े-चिथड़े
कोई कहता है गरीब
कोई पागल
कोई कहता है किस्मत का मारा बेचारा
कोई रखता है रहम
कोई मारता है पत्थर
घर परिवार कि नज़र में हूं
हूं काम चोर
मिलते है उलाहने
होता हूं बेइज्जत
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।।
फिर भी रहता हूं मस्त मस्त !
लिखता हूं सत्य
क्यों कि मैं ऐक लेखक हूं ।।
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