यो तो जनवरी महीने के आखिरी सप्ताह तक सर्दी के साथ कोहरा अपने चरमोत्कर्ष पर रहता है पर पर्यावरण के लहज़े से कभी कम कभी ज्यादा रहता है हालांकि कोरोनावायरस के काल में सर्दी गर्मी कोई मायने नहीं रखती क्यों कि इस काल में हार्ट अटेक ब्लड प्रेशर निमोनिया कैंसर सुगर जैसी लाईलाज
ओर अन्य बिमारी का कहीं भी नामोनिशान नहीं है सरकार के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का पूरा ध्यान कोबिड 19 पर है भाई साहब क्यों न हो सरकारी अमला का कोइ भी कर्मचारी इस काल में यम लोक पधारे भले ही कोई बीमारी हो घर वालों को पचास लाख रूपए तो मिलना ही है साथ ही अनुकंपा नियुक्ति अब भला परिवार का कोई भी व्यक्ति क्यों प्रश्न चिन्ह खड़ा करेगा ??
खैर तेज सर्दी कोहरे को देखकर रसिकलाल का मन बिस्तर छोड़ने को तैयार नहीं था कारण रात्रि अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से दिमाग हैंग हो रहा था या यूं कहें कि दिमाग अमेरिका इंग्लैंड यूरोप कि यात्रा कर रहा था दूसरा कारण रसिकलाल मदहोश होकर अपनी प्राण प्यारी मिस अनुराधा से व्हाट्सएप पर ओन लाइन होकर ऐक दूसरे के तन बदन या और कुछ .....,??
रसिकलाल के तकिए के पास मोबाइल रखा हुआ मोबाइल से बाहर ऐक ध्वनि निकली थी क्या खूब लगती हो बढ़ी सुंदर दिखती हो फिर से कहो कहते रहो अच्छा लगता है इसी आवाज से रसिकलाल कि नींद उड़ गई खैर रसिकलाल ने मोबाइल कि आवाज सुनकर लपककर फ़ोन उठाया था ।
आंख मलते हुए हलो हाय हा जानूं
मिस अनुराधा :- हाय मेरे राजा अभी तक सो रहे हैं
रसिकलाल:- जाने मन क्या कहूं अर्ध रात्रि तक हम दोनों लाइव हो कर एक दूसरे के तन बदन को निहारते हुए अपनी काम वासना को सांत कर रहे थे
मिस अनुराधा:- बेबी इसलिए कहती हूं ऊस चुड़ैल से मेरा मतलब मेरी सौतन से जल्दी से तलाक लेकर मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लिजिए
रसिकलाल:- हाय हाय मैं मर जाऊं जान तुम्हारे लिए ही तो पिछले दो साल से कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहा हूं पर वह मेरी अर्धांगिनी तलाक देने को तैयार नहीं है
मिस अनुराधा:- बेबी कुछ भी करो जल्दी से तलाक लेकर मुझे कानूनन जीवन साथी बनायो अब तुम्हारे बिन नहीं रहा जाता कहै देती हूं अगर दो तीन महीने के अंदर मुझसे ब्याह नहीं रचाया तब मैं किसी और से ब्याह कर लूंगी फिर हाथ मलते रहना ।
रसिकलाल:- ऐसा न कहो अरे अरे देखो तुम्हारे लिए मैंने अपनी पत्नी को दो साल से दूर रखा है
मिस अनुराधा:- इसमें मेरा क्या कसूर है तुम्हीं तो भंवरे बनकर आगे पीछे डोलते थे मैंने पहले ही कहा था कि बीबी को तलाक देना पड़ेगा समझें
मिस्टर रसिकलाल मल्टीनैशनल कंपनी में सी ई औ के पद पर कार्यरत हैं वही मिस अनुराधा ऐच आर प्रमुख है मिस अनुराधा हालांकि ऐच आर विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पद पर नियुक्त हुयी थी पर उनकी मद से भरी आंखें सुडोल सुगठित शरीर ने रसिकलाल का मन रसिक हो गया था कंपनी का बिजनेस देश दुनिया में अनेकों जगहों पर फैला था ऐसे में रसिकलाल को बिजनेस टूर पर बाहर जाना होता था मिस अनुराधा को भी साथ ले जाते थे होटल में भले ही दो रूम बुक हो पर ऐक ही बिस्तर पर दोनों अपनी-अपनी हवस मिटाने को ललाऐत रहते थे इसी लालायित पन से मिस अनुराधा कब ऐच आर प्रमुख बन गई पता ही नहीं चला मोटी तनख्वाह गाड़ी फ्लेट आदि रसिकलाल ने सब कुछ इतंजाम करा दिया था ।
दूसरी ओर रसिकलाल पहले से ही शादी सुदा था हां उसकी पत्नी का नाम लछमी था सुंदर शुशील बी ऐ तक पढ़ी लिखी थी यह ब्याह मां बाप कि मर्जी से हुआ था अग्नि के समाने सात पांच बचन का पालन करने का सारे जीवन निर्वाह करने का बादा किया था पर जिस समय शादी हुई थी रसिकलाल बे रोजगार था जीवन संगिनी ने घर खर्च के लिए बुटिक खोल रखी थी किस्मत ने साथ दिया रसिकलाल कि डिग्री काम आई थी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिल गया था अपने व्यवहार मेहनत के बल पर कुछ ही बरशो में वह सी ई ओ के पद पर नियुक्त हो गया था बड़ा पद लम्बी तनख्वाह गाड़ी बंगला बड़े बड़े बिजनेस मैन आदमी पार्टी शराब शबाब का स्वाद चख लिया था ऐसे में रसिकलाल को अपनी पत्नी बासी कढ़ी लगने लगी थी पत्नी को पर स्त्री गमन का पता चल गया था स्वाभाविक है घर में खट पट होने लगीं थी दौनो का ऐक पांच साल का बेटा था जो मां बाप को अक्सर लड़ते हुए देखता था पर रसिकलाल को बच्चे बीबी कि कोई परवाह नहीं थी क्योंकि उसे तो मिस अनुराधा कि मद से भरी हुई आंखों सुडोल सुगठित शरीर फिर बिस्तर पर बाप रे बाप कयामत डालती थी ।
तलाक कि अर्जी कोर्ट में लगायी थी पर पत्नी तलाक देना नहीं चाहती थी रसिकलाल ने पैसे का प़भोलन दिया था धमकाया था किन्तु वह ऐसे प्रलोभन भय से घबराकर अपना घर बर्बाद नहीं करना चाहती थी दोनों अलग-अलग रहने लगे थे लछमी का पहले से ही बुटिक था कुछ महिलाएं काम कर रही थी कुल मिलाकर अच्छी आमदनी थी ।
रसिकलाल कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा कर परेशान हो गया था फिर वकील साहब कि सलाह पर उसने अपनी अर्धांगिनी को चरित्र हीन साबित करने का दावा किया था यहां तक कि ऊसका बेटा किसी दूसरे पुरुष का है डी एन ए जांच का आवेदन लगाया था कोर्ट के आदेश पर पती पत्नी का डीएनए जांच के लिए सैम्पल लिए गए थे.
रसिक लाल:- प़ाण पयारी ऐसा नहीं कहों देखों मैंने भी तुम्हारे लिये कुछ किया है तुम ऐक मामूली सी कंप्यूटर आपरेटर थी मैंने तुम्हें कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया जरा खयाल करो
मिस अनुराधा:-हा हा मालूम है आपनें कीमत देखों भी बसूली है. मे कुआरी थी आप ने ही सैकड़ों बार बिसतर पर मुझे सञी बनाया है अब जबाब दो ??
रसिक लाल :- हा भाई हा मे मान रहा हूँ.देखो तुम्हें सारे जीवन अपना बनाने के लिए अपनी जीवन साथी औलाद को दरकिनार कर दिया है.
मिस अनुराधा:- मुझे तुम्हारी औलाद पत्नी से कोई लेना देना नहीं. कहें देतीं हूँ. दो महीने में अगर तुम्हारा तलाक नहीं हुआ तब मैं किसी दुसरे से शादी कर लूगी तुम्हें तो मालूम ही होगा कंपनी का मालिक बुडडा. मेरै ऊपर बहुत मेहरवान हो रहा है. रोज देर सवेरे. फोन लगाकर हाल चाल. पूछताछ करता है सुना है ऊसकी बीबी. लकवाग्रस्त है.
रसिक लाल:- मेरी महबूबा मुझ पर शंका नहीँ करो बकील साहब ने आशवासन दिया हैअगली पेशी पर. तलाक हो. जाऐगा फिर मैंने डी ऐन ऐ सैपल लेब को मोटी रकम दे दी है.
दोनों ऐक दुसरे से. लणझगण कर मान मनोबल कर के. फोन काट चुके थे चूंकि कोर्ट में आज रसिक लाल कि पेशी थी जाना अनिवार्य था मन मारकर नित्य कर्म से. निपटने के बाद कोहरे मैं ही कार पर सवार होकर कचहरी परिसर पहुंच गया था. पर भला हो बाबूयो का ऊसकी पेशी अगले कुछ महीने टाल. दी गई थी. मिस अनूराराधा का फोन पर फोन लगााा जा रही थी धैर्य जबाब दे रहा था रसिक लाल बार बार फोन कट कर रहा था कयोंकि ऊसे अपनी पत्नी बेटा कचहरी परिसर में दिख रहा था दौनों ने ही ऐकदूसरे को निहारा था चिढकर रसिक लाल पास ही चला गया था चूकिं पिता को बेटे ने होश संवारने मैं पहली बार देखा था वह ममतामय होकर अपने जन्म दाता को टुकर टुकर देख रहा था. शायद ऊसकि आखों मैं शिकायत दर्ज थी. शायद वह पूछना चाहता था कि आप ने ही मुझे अपनी शरीर कि दैहिक भूख मिटाने को मैरी जननी का इसतेमाल किया है मैं आप ही कि औलाद हूँ फिर मेरे साथ ऐसा कयों डी ऐन कयों.?
रसिक लाल गुस्से से आग बबूला हो.कर अपनी पत्नी बेटा के पास चला गया था हालांकि कचहरी परिसर में बहुत भीड़ भाढ थी कयोंकि कोरोना काल में सारा देश अनेकों दिन के लिए बंद हो गया था ईस काल में पुलिस फ़शासन ने वाईरस कि ओट लेकर गरीब जनमानस पर अतयाचार किया था वह भारत वर्ष के ईतिहास मैं काले शब्दों में दर्ज होगा रसिक लाल अपनी पोजीशन देखकर लोगों के हजूम को देखकर कुछ सकुचा था शायद अपनी पत्नी के सामने जाने से डर रहा था फिर भी हिम्मत कर चला गया था ।
रसिक लाल:- बेटा कि ओर निहारकर कैसी हो लछमी ??
लछमी :-पतिदेव. आपकी. मेहरबानी से. जिंदा हूँ ।
रसिक लाल :- मेरा लाल तो अच्छा है शिछा हेतुः ऐडमिशन करा दिया है ।
लछमी :- बहुत फिकर कर रहे है अपने लाल पर चिताएं मत करो अभी ऊसकी मां जिंदा है अग़जी सकूल मे दाखिला कराया है ।
रसिक लाल : बहुत ही अच्छा बेटा पढें लिखै मां बाप का नाम रोशन करें. यहीं तो हमरी तुम्हारी जीवन कि ऊपलब्धधी है.।
लछमी :- समझीं नहीं. मतलब हम और तुम पति पत्नी समझ से परै है.।
रसिक लाल :- समझना कयो हैं हमारा बेटा है ।
लछमी :- जी हां हमने तुमने ही इसे जन्म दिया है देखो दो तीन साल हो गए है. हम तुम ऐक दूसरे से अलग है अब कहै कि आज ऐसी मीठी वाणी कयो वोल रहे हो ??
रसिक लाल:- भले ही हम तुम दूर ही हो पर हमारा तुम्हारे बीच मैं जन्म जन्म से साथ है कयोंकि हमने तुमनें अग्नि को सामने कर के सात पांच बचन निभाने कि कसमे खायी है फिर भला कुछ परस्पर वार्तालाप मे भूल चूक चल रही हैं मतलब हम तुम साथ में नही रहते है साथ मे नहीं सोते हैं कोईभी बात नही शिकायत नहीं लछमी राम चरित मानस मैं भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है हानि लाभ जीवन मरण यस अपयस बिधी हाथ अर्थात इस पंक्ति में जीवन का सब सार है यह सब. ईश्वरीय विधान है पगली फिर कयो.??
लछमी:- पतिदेव जी यह सब मुझे पर अपना गयां मत बिखेरो मुद्दों पर बात करो.।
रसिक लाल :- तब फिर ठीक है. अब तुमहिं. बतायें कि तलाक देने के कितने करोड़ रुपए चाहिए ।
लछमी :- कह रहीं हूँ. पैसा कोढी हाथ का मैल है जब से तुम ऊस आवारा लडकि के चुगंल मे फस गए हो तुमहे ऊच नीच का कोउ भी भान नहीं ओर रही बात मेरी मे बुटिक का बिजनेस कर के अच्छा खासा कमाकर अपनी बेटा कि देख भाल कर रही हूं तुम्हें पता ही होगा मैंने आज तक तूमसे ऐक भी कोढी रूपया अपनें गुजारे भत्ते के लिए नही लिया और हां मे तुम्हें तलाक देनी वालीं नहीं यह मेरी असमियता का सवाल है मेरै चरित्र का हनन है और हा तुमहारे जैसै धनवान पुरूष मेरे आगे पीछे डोल रहैं है मेरी ऐक चितवन मुसकुराहट पर अपना धन दैने को आतुर हैं फिर भला. मुझ में कैसी कमी है जवान हूँ शायद खूबसूरत भी हूँ भरे गदराई बदन से भी हू पर नहीं ऐसा नहीं करूगी कयों कि मुझे अपने माता पिता का खयाल हैं. ??
रसिक लाल ऊसकि रुद्र रूप को देखकर ला जबाब था बगले ताकनै लगा था ऐक वार ऊसके मन ने कहां था तू गलत है तू वासना से घिर गयां हैं थू हैं तेरे ऊपर जो ऐसी जीवनसाथी को. धोखा दे रहा है.।
कहते है बिनाश काले विपरीत बुद्धि रसिक लाल को कछ भी समझ में नहीं आ रहा था ऊसे तो दिन रात अनुराधा कि मनमोहक तसवीर ही दिखाई दे रही थी. तभी मासूम बेटा ने रसिक लाल से सवाल किया था
बेटा :- मम्मी कहतीं हैं कि आप हमारे पापा हो आप बताऐं ईस डी एन ए कि .परिभाषा क्या है मेरे दोस्त मुझ से पूछताछ कर रहे है कि तेरा बाप कौन है ??
रसिक लाल:- बेटा कि और निहारते हुए .यह सब कुछ तो तू अपनी मां से पूछताछ कर ??
मनुष्यों का हदय बहुत कोमल है संबेदन शील हें रसिक लाल बेटा के सवाल पर कोई भी जवाब नहीं दे पाया था फिर भी अंदर मन से दूखी था ऊसे अपनी कथनी करनी पर पछतावा हो रहा था ।
पेशी पर पर पेशी हो रही थी लछमी किसी भी लालच मे नहीं आ रही थी ऊसे तो डाक्टर लैब रिपोर्ट पर भरोसा था जज पर भरोसा था वह मैदान मे डटकर मुकाबला कर रही थी ईस बीच मिस अनुराधा ऊसका मोवाइल फोन कोल भी. रिसिव. नही कर रही थीं. ऐक दिन ऊसने अपनें पद से इसतीफा दे दिया था यहां तक कि ऊसने अपना फलैट मोवाऐल नमबर भी बदल दिया था चूंकि रसिक लाल अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने लगा था कपंनी के काम काज मैं लापरवाही भी कर रहा था पता चला कि कंपनी ने ऊसे निकाल दिया था अब धोबी का कुत्ता न घर का रहा न ही घाट का बंगला कार पावर लडकि सब कुछ हाथ से निकल गयीं थी. सुना था मिस अनुराधा अपने बुड्ढे मालिक के साथ संसार हवाई जहाज पानी के जहाज से निकल गयी थी कुछ लोगों का तो यह तक भी कहना था कि ऊनहोने कानूनन शादी कर ली थी दूसरी तरफ डी ऐन ऐ टैस्ट कि अदालत के आदेशानुसार रिपोर्ट आ गई थी जो लछमी के फेवर मै गयीं थी ऐक दिल रसिक लाल लछमी के घर पर पहुंच गयां था ।
लछमी:- आखिर आ ही गए अब बोलों बोलो कयों आऐ वह चुडैल कहां गई ??
रसिक लाल :- सिर छुकाकर चुपचाप खढा रहा था ।
लछमी :- मेरे दरवाजे से हट जावो कहै देती हूं मेरा तुम्हारा कोई भी संबंध नहीं समझे ।
इस बीच बेटा कही से खैलकर आ गयां था बाप को देखकर खुशी से फूला नहीं समाया था पापा पापा कहकर गले से लिपटगया था साथ ही कह रहा था पिताजी पिताजी अदालत ने डी एन ए रिपोर्ट कि जांच कर ली है अब आप ही हमारे. पापा है मम्मी जी. पापा को घर के भीतर जाने दो फिर रसिक लाल बेटा के साथ अंदर दहलीज पार कर गयां था अदंर तीनों रो रहे थे आखों से रसिक लाल कि गंगा जल कि धारा वह रही थी वहीँ लछमी पति को यो शब्दों से बोलकर ढाढस बधा रहीं थीं कि शुवह का भूला अगर शाम को वापिस लौट आए तो वह भूला नही कहलाता फिर हमने तुमनें तो अग्नि के साथ अनेको.जीवन कि कसमें खाईं है भला मै तुम्हें कैसे छोड़ सकती हूं .....।
Comments