." 1921 से आज तक" लेख

सौ( 100)साल पहले हम  कहां पर  थे  और अब हम कहां हैं इस बीच के अंतर का सही अर्थों में तुलनात्मक समीक्षा करें तब हमने प्रकृति से क्या पाया और क्या खोया इस सवाल का जवाब शायद हमारे पास हैं या नहीं ??
फिर भी चलिए एक बार समय के बीच के अंतर समझने का प्रयास कर्ता हूं ।
लगभग १०० साल पहले ।
(१) हमारे पास पहाड़ थे  / जो अभी भी हैं । 
(२) हमारे पास जंगल थे/ जो अभी भी हैं ।
( ३) हमारे पास नदी भी थीं / जो अभी भी हैं ।
(४) हमारे पास मीठे-मीठे पानी के झरने थे / जो अभी भी हैं।
( ५) हमारे पास सरोवर थे  जिनसे नदी वारह मांस वहती रहतीं थीं / पर अब बड़े  बड़े बांध है ।
(६) हमारे पास कुएं थे जिनसे हमें मीठा जल पीने को मिलता था व खेती होती थी / पर अब बोर हैं ।
(७) हमारे पास हल थे जो खेत के सीने को फ़ाड़ कर खेत में अनाजों के बीजों को बोने में सहयोग करते थे जिनसे हमारे-आपके अन्न भंडार भरे पड़े रहते थे /पर अब टैक्टर है जिनके मदद से हमारे अन्न भंडार भरे पड़े हैं।
(८) कुओं से खेती-बाड़ी हेतु रहट थे जिन्हें हम बैलों कि मदद से चलाते थे  जिनसे न ही बिजली कंपनियों को बिल देना पड़ता था और न ही पर्यावरण को कोई भी फर्क नहीं पड़ता था /पर अब डीजल इंजन भी है जिनके धुएं से हमें स्वस्छ वायु नहीं मिलती है फिर बिजली के दाम भी नहीं भरने पड़ते थे ।
( ९) चूंकि पहले समय में हम पशु धन पर ही आश्रित थे जैसे कि दूध ,दही ,घी ,छाछ आदि और हल, रहट, बैलगाड़ी आदि पशु हमें बदले में गोबर देते थे जिसका हम खाद के रूप में इस्तेमाल करते थे हमें अच्छा अनाज मिलता था /पर अब पशु धन हमसे दूर हों गया है हमारे पास मशीन धन ही है वह हमें क्या दें रहा है विचार करे।
(१०) पहले हमारी औसत आयु १०० साल थीं शरीरों को कोई भी बीमारी नहीं होती थी जैसे कि शुगर, उच्च रक्तचाप, कैंसर आदि /आज हमारी औसत आयु ६० साल है फिर हमारे शरीरों को नाना प्रकार के रोगो ने घेर लिया है छोटे छोटे बच्चों को भी कहीं कहीं शुगर जैसी बीमारियों ने जकड़ लिया हैं ।
( ११) पहले हम लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाते थे जो सही अर्थों में पकता था जिसका स्वाद भी अच्छा रहता था / और अब हम गैसों से , बिजली के चूल्हे पर खाना पकाते हैं न ही स्वादिष्ट भोजन मिलता है ।
(१२) पहले हम मिट्टी के बर्तन का पानी पीने हेतु भंडार करने चूल्हे पर खाना पकाने हेतु करते थे जैसे कि चूल्हा, तवा,कहाडी,मटका,मटकी, सुराही आदि जिनसे मिट्टी कि भीनी-भीनी सौंधी खुशबू हमें मिलती-जुलती थी ठंडा जल पीने मिलता था और अब / पर अब हमारे  बीच फ़िजी है ठंडा प्लास्टिक कि बोतल में अधिक दामों पर उपलब्ध है स्टील लेश वर्तन है ऐलमोनियम के वर्तन है  फ़िज के ठंडे पानी से हमें सर्दी , जुखाम, गला ख़राब, हों जाता है और वर्तन से कैमीकल कि खुशबू आती है ।
(१३) पहले हमारे परिवार संयुक्त परिवार था जो कि दुःख सुख में एक दूसरे का सहयोग करते थे एक ही घर में सब रहते थे एक ही चूल्हे पर खाना पकता था माता पिता बुजुर्ग का सम्मान करते थे ऊनकि सेवा होती थी /पर अब  हम अलग-अलग रहने लगे घर को छोड़कर फ्लेट में जा रहे हैं अगर भाई परेशान हैं तब उसका सहयोग नहीं करते माता पिता को बृध आश्रम में छोड़ कर अपने कर्तव्य से निवृत हो जातें हैं ।
(१४) पहले हम मिट्टी से बने घरों में रहते थे जो पर्यावरण के अनुकूल थे गर्म मौसम में ठंडग व ठंडा मौसम में हमें गर्म रखते थे / पर अब हम हाईराइज बिल्डिंग में रहते हैं जो बेहद गर्म रहते हैं ।
(१४) पहले हमारे घरों में खिड़की रोशन दान खुलें हुए रहते थे जिनसे प्रकाश व स्वच्छ हवा हमें मिलती थी /पर अब खिड़की तो रहतीं हैं पर उसे एलमोनियम सीसे से बंद कर दिया जाता है सीसे पर जो सूर्य की किरणें पड़ती है आर पार जाती है जिससे गर्म वातावरण उपलब्ध होता है फिर एक सी के दौरान हम ठंडा रखतें हैं  जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ।
यह पिछले सौ साल और आज तक के बीचों-बीच के समय के अंतराल का विश्लेषण हैं हमने प्रकृति से खिलवाड़ कर क्या पाया और क्या खोया ??  हमने पहाड़ों को खोदा क्यों कि हमें अपने बहुमंजिला इमारत के लिए मुरम पत्थर चाहिएं उन पर लहलहाते जंगल वनस्पति नष्ट हो रही है फिर हमने धरती के सीने पर बोरिंग कि कभी कभी कहीं पानी मिलता है या नहीं पर हमारे कुएं सूख गए है हमने डीजल पेट्रोल के लिए धरती पर असंख्य छेद किए ठीक-ठाक है हमें इंधन मिला पर बदलें में हमें भूकंप सुनामी जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ा कहीं अधिक वर्षा हो रही है तब कहीं सूखापन देखने को मिल रहा है किसी किसी देश में ठंड ज्यादा होने लगीं हैं तब कहीं अधिक गर्मी हिमालय पर्वत जैसे पहाड़ों पर सदियों से जमी बर्फ पिघल रही है जिससे बाड़ आ रही है जंगली जीव विलुप्त हो रहे हैं और जो अभी हैं वह जिन्दा
 रहने के लिए संघर्षरत हैं  क्या हम मानव ने अपने स्वार्थ हेतु जंगल पहाड़ जंगली जानवरों के साथ अच्छा किया हैं आप सब कमेंट कर के अपनी राय दिजिएगा ।।
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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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