सुना है कि नर्क भी होता है ।
जहां आत्मा को कष्ट भोगना पड़ता है।
सारे जीवन का लेखा-जोखा देवदूत
आत्मा के सामने रखते हैं
फिर न्यायालय जहां उनके भी
न्यायमूर्ति न्याय के लिए
आत्मा से सवाल जवाब करते हैं ।
चूंकि सुना है कि वहां पर काले कोट
का वकील नहीं होता
जो वहस कर ,
दंड से मुक्त करा दें
या फिर किसी न्यायालय
के न्यायाधीश को
कुछ रकम या धन
क्लर्क के माध्यम से
पहुंचा दें ?
चूंकि यह व्यवस्था वहां नहीं है ।
इसलिए आत्मा को ही परमात्मा
से सवाल जवाब करने पड़ते हैं ।
जैसे कि सारे जीवन क्या किया
मानव मूल्य का कितना
पालन किया ? माता पिता, बुजुर्ग,कि
सेवा कि या नही ?
परिवार के प्रति वफादार रहें
कि नहीं ।
तुम पति-पत्नी बन गये थे
समाज ने तुम्हरा व्याह कराया था
फिर क्यों संभोग सुख के लिए पर पुरुष
पर नारी का उपयोग किया !
जल का कैसा उपयोग किया
जमीं के लिए कितना छूठ बोला
वनस्पतियों की इज्जत कि
उन्हें पानी दिया कि नही ?
खुद के सुख के लिए या व्यापार के लिए कितने
पेड़ पोंधे कांटे।
क्या उनमें आत्मा नहीं थीं
धातुओं के लिए
तुमने जमीं खोदी
उनका मूल्यांकन
अपने हिसाब से तय किया ।
फिर उन्हें नाम दिया
जैसे कि सोना, चांदी हीरे-जवाहरात
या फिर लोहा, टंगस्टन, जिप्सम
और खनिज धातुएं,
जिन्हें कुदरत से खिलवाड़ कर
बेचा क्या धरती का सीना
छलनी नहीं हुआ ।
फिर तुम्हें परमात्मा ने आत्मा के
रूप से धरती पर भेजा
उन्होंने हाड़ मांस का शरीर दिया
रूप , रंग , नाक, जिव्हा ,
भावनाओं , दुःख, सुख,समान दिए
फिर भी तुम कभी धर्म के नाम पर
कभी समाज के लिए,
संघर्षरत होकर लड़ते हो ।
अपने आहार के लिए
जंगली जीव , जानवरों, का
मांस मछली खाते हों ।
माना कि सृष्टि संतुलन
के लिए यह सब जरूरी है
ऐसा हमने मान लिया है ।
जरा गौर कीजिए
यह सब सृष्टि के रचयिता कि
व्यस्था थी
फिर तुम कौन होते हो
उन्हें मारने वाले
तुम्हें देवदूत ,के न्यायाधीश,को
जवाब देना होगा ??
अच्छा करना होगा
मानव संसाधन , नैतिक मूल्यों,का
पालन करना होगा
जीवन सादगी ,से जीना
होगा ??
तभी आत्मा, परमात्मा,के, पास, पहुंचेगी, परमेश्वर, तुम्हें, नर्क का द्वार
के अंदर, नहीं जानें देगा ।।