नाथ पेशे से सिविल इंजीनियर थे हालांकि सिविल इंजीनियरिंग से एम् टेक करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए अनेकों बार फार्म भरकर परीक्षा दी थी पर हर बार कुछ अंकों से उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे कारण आरक्षण था फिर थक हार कर उन्होंने प्राइवेट सेक्टर को अपना जीवन यापन हेतु चयनित किया था कठोर परिश्रम के साथ कंपनी का क्वांटिटी व क्वालिटी का ध्यान रखा था उच्च अधिकारीयों ने उन्हें जल्दी ही तरक्की पर तरक्की दे कर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर आसीन कर दिया था।सब कुछ अच्छा चल रहा था पर कलमुंही महामारी ने एक ही झटके से तहस नहस कर दिया था ।
मुक्ति नाथ के घर से बाहर जाने के साथ ही आलोक नाथ का व्यवहार बदल गया था अब वह कभी भी बेरोकटोक घर के किसी भी कोने में पहुंच जाता था कभी बालक को खिलाने के बहाने से तब कभी किचन में रखें फ्रिज में से पानी कि बोतल निकालने के साथ चूंकि मुन्ना उनसे घुल मिल गया था वह भी उनकी आहट पाते ही रोने लगता था जिसे बे लपककर गोद में उठा कर मेरा मुन्ना मेरा बेटा मेरा राजकुमार रो रहा हैं ......
एक दो बार तो जब मिसेज मुक्ति नाथ अपने कपड़े चेंज कर रहीं थीं तब भी वह यौवन के अथाह सागर को देखने के लिए पहुंच गया था हालांकि उसे सख्त लहजे में डाट डपटते हुए कहा था खबरदार आप को अन्दर दरवाजे पर दस्तक दे कर आना चाहिए था प्रकृति ने कुछ औरतों को पुरूष कि नजर पहचान करनी कि अद्भुत शक्ति दी है वे पहचान रहीं थीं कि इसके मन में चोर है तभी तो उन्होंने मुक्ति नाथ से शिकायत कि थी जवाव में कहा गया था देखो बे हमारे पिता समान है तुम्हारे मन में वहम बैठ गया हैं वाहर निकाल कर निश्चिंत रहो फिर अगर मैं उनसे इस संबंध में बात करूंगा तब मेरे ख्याल से ठीक नहीं होगा चूंकि नोकरी उनके ही सिफारिश से मिलीं हैं हमें एहसान फरामोश समझेंगे फिर भी तुम दूरी बना कर रहो जल्दी ही तुम्हें अपने पास बुला लूंगा । फिर फोन कट हों गया था ।
पति का आलोक नाथ के प्रति अथाह विश्वास पर सरला ने भी अपनी मन कि धारणा बदल ली थी वह भी लापरवाह हो गई थी एक दिन सुबह सुबह जैसे ही वह आलोक नाथ को बेडरूम में बैड टी लेकर पहुंची थीं हालांकि दरवाजा बंद था तब
उसने दस्तक दी थी पर अन्दर से कोई भी जवाब नहीं दिया गया था उसने सोचा था हों सकता है कि बाथरूम में फ्रेश हो रहें हों टेबल पर रख दूंगी यह सोचकर वो अन्दर चली गई थी पर शर्म से पानी पानी हो गई थी आलोक नाथ नि..... वस्त्र होकर सीधे खराटे भर रहे थे। उनका तना हुआ कठोर गठीला बदन देख कर चौंक उठी थी जल्दी बाजी हड़बड़ा कर चाय का मग फर्श पर गिर कर चूर चूर हो गया था उसके टूटने कि आवाज से झटके से आलोक नाथ कि नींद खुल गई थी जल्दी ही उन्होंने कम्बल अपने उपर खींच लिया था उधर सरला उल्टे पांव बैडरूम से वापस लौट गयी थीं । कुछ समय बाद आलोक नाथ लोवर टी शर्ट देह पर डाल कर सरला के पास पहुंच गया था
आलोक नाथ:- माफ कीजियेगा जो कुंडी लगाना भूल गया था दरअसल ड्रिंक ज्यादा हों गई थी इसलिए भूल गया था ।
मिसेज मुक्ति नाथ:- फिर से चाय बनाने लगी थी व खामोश थीं। आलोक नाथ :- भाई गलती आपकी हैं आपको नहीं आना चाहिए था मैं दुबारा से माफी मांग रहा हूं ।
मिसेज मुक्ति नाथ:- छी छी आप को शर्म नहीं आती ऐसे सोने में ??
आलोक नाथ :- भाई इसमें शर्म काहे कि पश्चिमी देशों में देह के वस्त्र त्याग कर नींद कि देवी के आगोश में समां जातें हैं उन्होंने तर्क दिया था।
मिसेज मुक्ति नाथ बनावटी गुस्से से बोली थी हम विदेश में नहीं अपने देश में हूं खैर गलती हमारी भी हैं मुझे आप के कमरे में नहीं जाना चाहिए था चलिए चाय पीजिए में नाश्ता ,लंच बॉक्स तैयार करतीं हूं क्योंकि मुन्ना जागने वाला है ।
कहते हैं कि विज्ञान ने मानसिक तनाव कम करने व अच्छी नींद हेतु अनेकों बार शोध किया है उनके अनुसार निर्वस्त्र होकर लेटने में अच्छी नींद व तनाव कम होता है शायद यह सही भी है कि पृथ्वी पर अनेकों धर्म को मानने वाले अनुयाई रहते हैं धर्मों में तो साधु सन्यासी हमेशा के लिए अपने वस्त्रों का त्याग कर देते व कठिन साधना करके ईश्वर के पास पहुंच जाते हैं कारण यह है की मन कि भावना कंट्रोल कर लेते हैं ब्रह्मचर्य व्रत का आजीवन पालन करते हैं पर गृहस्थ आश्रम में यह संभव नहीं है ।
खैर पाप का हवन कुंड तैयार हो रहा था मिसेज मुक्ति नाथ के मनमस्तिष्क में बार बार सुबह का दृश्य दिखाई दे रहा था मन में नाना प्रकार के ख्याल आ रहे थे कभी कभी मन हीं मन कहती तू बहक रहीं हैं सरला सम्हाल अपने आप को तेरा देवता जैसा सीधा साधा पति हैं जो तुझे बहुत प्यार करता हैं तेरा सम्मान करता हैं भला जब उसे मालूम चलेगा तब बेचारे पर क्या गुजरेगी वह अन्दर से टूट जाएगा नहीं नहीं तूं ऐसा नहीं कर सकतीं ....... तुझे अपनी मद भरी भावनाओं को कंट्रोल करना पड़ेगा ।
दफ्तर से वापस आने के साथ आलोक नाथ बाजार से मुन्ना के लिए ढेरों खिलोने कपड़े सरला के लिए नाईट गाऊन,सूट, साड़ी या के साथ ,फल , और सब्जियां के साथ ताजी मछली लेकर आए थे
मिसेज मुक्ति नाथ :- आप यह सब क्यों लाएं हों मैंने तो नहीं कहां था ।
आलोक नाथ:- सरला तुम्हरा पेइंग गेस्ट हूं रोज रोज गर्म गर्म खाना खाता हूं वह बात अलग है कि में भुगतान देता हूं पर मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ।बस अपना फर्ज पूरा कर रहा हूं और हां अगर कभी लगें तो में इन सब का पैसा किराया मे कटौती कर आपको दे दूंगा ।
मिसेज मुक्ति नाथ :- मुस्कुरा कर कहा था बातें करना तों कोई आप से सीखें । पाप का हवन कुंड तैयार हो रहा था अब आहुति कि तैयारी हों रहीं थीं ।
बाहर मौसम खराब हो रहा था मेघ गर्जन कर रहे थे कही कहीं दूर बिजली चमक रही थी जिसका प्रकाश खिड़कियां के पर्दों में से आ रहा था । हालांकि विन मौसम बारिश हो रहीं थीं ऐसे ही रंगीन मौसम में आलोक नाथ पैग पर पैग गटक रहें थें मन में उथल पुथल चल रही थी शायद किसी धर्म संकट में फंसे हुए थे या गहन चिंतन मनन कर रहे थे एकाएक तेज बिजली के साथ मेघ गर्ज उठें थे उसी के साथ लाइट बंद हो गई थी चारों ओर घुप अंधेरा हो गया था तेज बिजली गर्जन से मुन्ना जाग कर रोने लगा था सरला ने मोबाइल फोन कि बैटरी जला ली थी फिर मुन्ना को लेकर आलोक नाथ के पास पहुंच कर बोली थी जरा मुन्ना को सम्हाल लेना मछली तों तैयार हैं बस रोटीयां पकाना है ।
आलोक नाथ ने मुन्ना को गोद में ले लिया था वे उसे थपकियां दे रहे थे व लोरी सुना रहे थे मुन्ना मोमबत्ती कि रोशनी में उनका चेहरा देख रहा था फिर लोरी सुनते-सुनते सो गया था ।
सरला खाना कि थाली लेकर आई थी जिसे टेबल पर रख दिया था वह जैसे ही मुन्ना को लेने के लिए पलंग के पास पहुंच थीं तभी सरला की कमर में हाथ डालकर अपनी और खींचा था । प्रति उत्तर में सरला छोड़िए छोड़िए देखो आप मेरे पिता समान हों आप यह क्या कर रहे हों आप शराब में मदहोश हो रहे हों मेरे पति आप का बहुत सम्मान करते हैं यह गलत है विश्वास घात है ।
आलोक नाथ:- कुछ भी ग़लत नहीं है जमाना बदल गया है हम दोनों ही वयस्क है आज कल तो सरकार ने भी लिव इन रिलेशनशिप कानून को मंजूरी दे दी है फिर यहां कोन देखने वाला यह बात हमारे तुम्हारे बीच में ही रहेंगी समझी ।
मिसेज मुक्ति नाथ :- हाथ झटकते हुए कहा था खबरदार अपनी सीमा में रहिएगा नीच इंसान हों आप अभी में मुक्ति को फोन करती हूं ।
आलोक नाथ:- जल्दी किजिए पर यह मत भूलना कि मेरी सिफारिश से ही उसे नोकरी मिलीं थीं समझी उसकी धमकी पर वह विचार मग्न हो गई थी घर के आर्थिक हालात बिगड़ते दिख रहे थे । आलोक नाथ ने फिर से अपनी और खींच कर कहां था मेरी बात मान लेने से ही भलाई है समझी मजे लीजिए और दीजिए तूं तों छोरी सुन्दर है जवान हैं पोस्ट ग्रेजुएट हैं तेरे पास यौवन का अथाह सागर है मुझे भी तैरने दीजिए कसम से । फिर मैं तुम्हें जबरजस्त तरीके से हासिल नहीं करना चाहता तुम्हारी अश्मिता से खिलवाड़ नहीं करना चाहता । न ही में उन पुरुषों में में हूं जो भी पुरुष किसी महिला के साथ उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाते हैं वह बलात्कार कहलाता है रही बात तेरे पति कि नौकरी लगाने की तब मैंने उस पर कोई एहसान नहीं किया है उसकी काबिलियत पर उसे प्रोजेक्ट मैनेजर पद कंपनी ने दिया हैं किसी भी प्रोजेक्ट का प्रोजेक्ट मैनेजर कंपनी कि रीढ़ कि हड्डी होता है उसकी परफार्मेंस से ही कंपनियों को मुनाफा होता है अथवा नुकसान जाइए ठंडे दिमाग से विचार किजिए अगर इच्छा हो तब आ जाना कुंडी खुली मिलेंगी ।
मिसेज मुक्ति नाथ ने हर पहलू पर विचार किया था उसका अंतर्मन सावधान कर रहा था पर अन्दर बैठा शैतान उकसाने लगा था व वार वार तर्क पर तर्क दे रहा था कि आखिर इसमें बुरा क्या है पश्चिम देशों में सेक्स या पर पुरूष से समागम उसकि मर्जी पर बुरा नहीं माना जाता कहते हैं संभोग से ही समाधी मिलती है दो पल कि आनन्द अनुभूति से परमानंद प्राप्त होता है फिर पति भी लम्बे समय से दूर हैं समागम का मन होता है नींद गायब हो जाती है जा सरला कुंडी खुली हुई है ।
मुन्ना एक और पलंग पर सो रहा था वहीं पलंग पर दो वयस्कों के बीच काम कला कि प्रतियोगिता आयोजित हों रही थी खजुराहो के मंदिरों कि पाषाण मुरती के सभी प्रकार के दृशय दिखाई दे रहे थे अब सरला शर्म हया को त्यागकर पलंग पर खुलकर कुश्ती लड़ रही थी पलंग से चर चर कि आवाज आ रही थी वातावरण में गर्म सांसें , कामुक चित्कार सुनाई दे रही थी ।और और और तेज हा हा ऐसे ही ..... बस बस छोड़िए पर आलोक नाथ तो डुबकी पर डुबकी लगा रहे थे फिर लम्बी लम्बी सांसें भरकर ढह गए थे तृप्ति से भरा माथे पर चुंबन लिया था मिसेज मुक्ति एक हाथ से छाती के बालों पर हाथ फेर रहीं थीं वहीं दूसरा हाथ कमर के नीचे था इतना लम्बा मोटा मांस का टुकड़ा
चीख निकल गई थी तबीयत खुश कर दीं इतना मजा तो मेरे पति ने कभी नहीं दिया एक बार फिर से .... अब अलग तरीके से जैसे डोंगी...
पाप के हवन कुंड में नित्य प्रति दिन या रात्रि में आहुतियां डाली जा रही थी उधर मुक्ति नाथ अपने काम पर ध्यान दें रहा था दिन में दो-तीन बार विडियो कोल पर पत्नी से बात करता मुन्ना कि किलकारियां सुन कर खुश हों जाता था हालांकि उसने एक हफ्ते कि छुट्टी कि एप्लिकेशन लगाई थी जो मंजूर हो गई थी एकाएक घर आ कर वह सरला को सरप्राइज़ देना चाहता था तभी तो अर्ध रात्रि में पहुंच गया था गेट खोलने हेतु दो तीन बार फोन लगाया था उसने सोचा था कि शायद नींद में होंगी बाहर का गेट लांघ कर मुख्य दरवाजे पर पहुंचा था चूंकि आलोक नाथ का बेडरूम आगे ही था खिड़कियां मे से रंगीन रोशनी वाहर आ रही थी साथ ही कुछ मिली जुली आवाज सुनाई दे रही थी कोतूहल बस खिड़की के पास पहुंच कर अन्दर झांकने लगा था पंखे कि हवा से पर्दे झूल रहे थे यह क्या सरला निर्वस्त्र होकर मुख.... कर रही थी एक ही झटकें से पांवों के नीचे से धरती खिसक गई थी इतना बड़ा धोखा जिस आदमी में अपने पिता कि छवि देखता था वह इतना नीच निकलेगा शायद उसकी पूरी गलती नहीं क्यों कि एक हाथ से ताली नहीं बजती कुछ देर बाद फिर से अन्दर का दृश्य देखा था अब वह मोबाइल फोन से विडियो बना रहा था उसकि अर्धांगिनी डोगी स्टाइल में सिसकियां ले रहीं थीं फिर और तेज और तेज हां हा ऐसे ही वहुत मजा आ रहा है कहें जा रही थी । मुक्ति नाथ यह दृश्य देखकर जैसे आया था उल्टा पैर वापस चला गया था ।
अगले ही दिन अदालत से तलाक लेने का नोटिस आया था व सरला के मोबाइल फोन पर मुक्ति नाथ ने वह विडीयो भेजा था जिसे देखकर सरला बेहोश हो कर गिर गई थी आंखों से अविरल अश्रु धारा वह रहीं थीं मुक्ति नाथ को बार बार फोन लगा रहीं थीं पर मुक्ति नाथ कोल अटेंड नहीं कर रहे थे ।
शाम को आलोक नाथ दफ्तर से वापस आए थे सरला ने सारा बकाया बताया था साथ ही उससे शादी करने का दवाब बनाया था जिसे उन्होंने यो कहकर ठुकरा दिया था देखो मेरे बीबी बच्चे हैं मैं उन्हें नहीं त्याग सकता पर हा तुम पैसा बोलों कितना चाहिए ।
मिसेज मुक्ति नाथ ने चिल्ला कर कहां था में सैक्स वर्कर नहीं थूकती हूं तेरे पर ओर तेरे पैसा पर चल निकल जा मेरे घर से हाय मेरा क्या होगा मेरे बच्चे का क्या होगा गलती मेरी ही हैं जो पाप का हवन कुंड बना कर सब कुछ स्वाह कर दिया है
एक दिन पता चला था कि मुक्ति नाथ ने घर बैच दिया था नये मकान मालिक ने उसे घर से बाहर कर दिया था अब वह वापस मां बाप के पास आ गई थी या यो कहें उनके ही सहारे पर थी अदालत में तलाक का अलग मुकदमा चल रहा था परेशान थीं कमजोर हो गई थी मुन्ना के भविष्य के प्रति चिंतित थी सहसा मुक्ति नाथ से अदालत में आमने-सामने मिलन हों गया था उसे देख कर रोने लगी थी मुन्ना कभी मां को रोता देखता तब कभी बाप कि और जैसे पूछ रहा था कि मेरा क्या कसूर था ।
मुक्ति नाथ को दया आ गई थी धीरे से कहा था सरला चलिए नया घर चलते हैं कार का दरवाजा खोलकर पगली गलती तो इंसान से ही होती है कोई बात नहीं मैं सब कुछ भूल गया हू मुन्ना कि खातिर पाप के हवन कुंड से मुक्ति नाथ ने सरला को मुक्ति दे दी थी ।।।