Skip to main content

Featured Post

सूर्य का प्यार चांदनी से कहानी

 बात लगभग लगभग पांच साल पुरानी है ऐक दिन मेरी साइट पर मेरा रोलर आपरेटर जों कि कंपनी से दस दिन कि छुट्टी लेकर गया था छुट्टी से आने के बाद मुझे अपने किराए के घर में चाय के लिए बुलाया चलिए पहले में अपना परिचय दे दूं मेरा नाम प्रेम कुमार हैं में मल्टीनेशनल कंटैकसन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं चूंकि मैं टीम लीडर हूं ऐसे में टीम के सभी सदस्यों से काम के बाद भी उनसे मेल मिलाप उनके दुख सुख का ख्याल रखना मेरी जुम्मे दारी बनतीं है या यूं कहें कि मेरी ड्यूटी हैं  ठंड का समय था वातावरण में सर्द हवाएं के साथ  हल्की हल्की ओस कि बूंदें भी आ रही थी कुलमिलाकर हड्डियों को हिलाने वाली सर्दी थी ऐसे मौसम में भी साइट पर मेहनत कश मजदूर गर्म कपड़े पहनकर काम कर रहे थे में और मेरे मातहत टेक्निकल उनका सहयोग कर रहे थे तभी सूर्य का फोन आया था सर क्या आप साइट पर हैं  मैंने कहा जी  तब सर को आप मेरे घर आ जाईए  चाय पीते हैं  मैंने कहा सूर्य आप कि छुट्टी तों दस दिन कि थी फिर दो दिन पहले  उसने कहा सर मै अपनी पत्नी को लेने गया था जैसे कि हमारे समाज में शादी के चार...

लखटकिया किस्मत के धनी मूर्ख कि लोक कथा


 पुराने समय कि बात हैं एक गांव था उस गांव में एक गरीब भोला नाम का अपने परिवार के साथ रहता था परिवार में माता पिता बेटा बहू ही रहते थें वह सारे दिन मेहनत मजदूरी कर के  व जंगल से लकड़ी काटकर भरण पोषण कर रहा था लड़का मां का बहुत ही आज्ञाकारी पुत्र था  जैसा मां कहती वह वहीं करता था उसकि पत्नी मायके गई हुई थी उससे मां ने कहा था बेटा बहुत दिन हो गए हैं तुम जाकर बहू को मायके से वापस घर लें आना क्यों कि में तो तुम्हारे पिता जी सारे दिन मजदूरी करते हैं  वापस घर आते आते में थक जाती हूं फिर घर पर आकर खाना पकाना व अन्य काम करने से और थक जाती हूं इसलिए तुम कल सुबह ससुराल निकल जाना ।

सुबह से ही मां ने खाना बना कर पैक कर दिया था  फिर झोले में खाना  रखकर कहां था बेटा रास्ते में कहीं भी कुआं मिलें तब वहां दोपहर का भोजन करना और फिर कही रास्ते में कोई भी देव स्थान दिखाई दे तब दर्शन जरूर करना फिर जिस जगह मतलब रास्ते में  सूर्य देव अस्त हो वहीं रात्रि विश्राम करना फिर सुबह आगे कि यात्रा करना आदि निर्देश दिए थे ।

भोला मात भक्त था मां के सारे निर्देशों को ध्यान में रखकर उसने मां कि चरण बंदना कि थी फिर ससुराल पत्नी को लेने चला गया था चूंकि उस जमाने में मोटरसाइकिल,कार, नहीं थीं न ही अच्छी सड़कें थीं आवागमन हेतु घोड़े, खच्चर,बैल गाड़ी,का, ज्यादा इस्तेमाल होता था पैसे वाले घोड़े का इस्तेमाल करते थे फिर मध्यम वर्ग के लोग खच्चर या बैल गाड़ी का इस्तेमाल आवागमन हेतु करते थे व गरीब आदमी पैदल ही दूर दूर कि यात्रा करते थें भोला गरीब था फिर स्वाभाविक था उसने पैदल यात्रा ससुराल जाने के लिए कि थीं चलते चलते जंगल पहाड़ को लांघ कर मैदानी इलाके में पहुंच गया था आगे चलकर उसे कुआं दिखाई दिया था जिसमें अंदर पानी पीने के लिए सीढ़ियां लगी हुई थी उसने दोपहर का भोजन यही करने का निश्चय किया था भोजन कर वह थोड़ी आगे चला था तब उसे बट वृछ दिखाई दिया था उसके पास खंडर नुमा मकान दिखाई दिया था बगल में चबूतरा पर किसी देव स्थान दिखाई दिया था शायद किसी देवता कि पत्थर कि मूर्ति थीं उसने मूर्ति के सामने सिर झुका कर बंदना कि थी  फिर खंडर नुमा मकान पर नजर डाली थी उस मकान के अंदर कुछ गधे आराम कर रहे थे उन्हें देखकर वह आगे कि यात्रा करते हुए सूर्य अस्त होने के समय पर ससुराल के घर के पीछे पहुंच गया था चूंकि मां का निर्देश था तब उसने घर के पीछे ही रात्रि विश्राम किया घर के अंदर सास और उसकी पत्नी में बात चीत हो रहीं थीं 

उसकी सास :- बेटा शाम का खाना खा लें देखो मैंने कड़ी चांवल पकाएं हैं साथ ही तली हुई मिर्ची आम कि चटनी पीस कर रख दी है 

पत्नी :- नहीं मां रोज रोज कड़ी चांवल खा खा कर मन भर गया है मुझे नहीं खाना ।

सास पत्नी कि मां :- बेटी आठ रोटी भी रखी हुई है जो तेरे भाई व पिता के लिए हैं ऐसा कर तूं उसमें से दो रोटी ले लेना ।

भोला घर के अंदर का सारा बाक्या सुन रहा था जैसे ही सुबह सूर्योदय हुआ था वह ससुराल घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गया था दामाद को एकाएक आ जाने से सारा परिवार खुश हुआ था सास ससुर साला आवभगत में लग गए थे उसकी पत्नी भी इधर उधर से ताक झांक कर रही थी व अपने कजरारे नैना से उसे घायल कर रही थी नित्य कर्म से निवृत्त होकर उसकी सास ने दामाद से कलेवा सुबह का नाश्ता करने का कहा था तब भोला ने कहा था आप के घर में बासी कढ़ी चावल रखें हुए हैं में नहीं खा सकता ।

तुम्हें कैसे पता सभी ने एक साथ पूछा था 

बस सब प्रभु कि कृपा है 

और क्या क्या रखा हुआ था सास ने फिर से पूछा था 

तुम्हारे घर पर आठ रोटी भी बनी हुई थी फिर आटा नही था घर में अनाज भी नहीं हैं तली हुई मिर्ची के साथ आम कि चटनी भी पीस कर रखीं हैं ।

अब क्या थोड़े ही देर बाद जंगल कि आग जैसे यह खबर चारों दिशाओं में फैल गई थी कि भोला मतलब गांव का दामाद ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है मतलब पल भर में अपने तीसरे नेत्र से सब कुछ जान जाता है ।

गांव के कुम्हार के गधे कहीं भटक मतलब खो गये थें वह दौड़ा दौड़ा आ कर भोला के सामने हाथ जोड़कर बोला था दामाद जी मेरे गधे गायब हो गए हैं आप क्या बता सकते हैं ?

भोला चूंकि खंडर में गधों को देखकर आया था फिर भी वह कुछ देर बाद बताना चाहता था तभी तो आंखें बंद कर ओंठ से कुछ बुदबुदाते हुए जैसे कि कोई मंत्र पढ़ रहा था फिर उसने कुम्हार से कहां था गधे तो मिल जाएंगे परन्तु 

परन्तु क्या कुम्हार ने कहा था 

देवता को पूजा देनी होगी मतलब पांच सोने के सिक्के 

कुम्हार ने पांच सोने कि असर्फी भोला के हाथ पर रख दी थी फिर भोला ने दिशा दूरी खंडर सब कुछ समझा कर उसे रवाना कर दिया था कुम्हार के गधे मिल गये थें ।

अब तो यह बात राजा के पास पहुंच गयी थी कि गांव का दामाद ज्ञानी है भूत भविष्य वर्तमान सब कुछ जानता है राजा ने उससे मिलने का निश्चय किया था फिर कारण भी था चूंकि रानी का हीरो का हार कहीं गुम हो गया था उसे उन्होंने सभी तरह से खोजा गया था पर कही भी नहीं मिल रहा था रानी को यह हार बहुत ही प्यारा , खूबसूरत लग रहा था वह रूठकर कोप भवन में बैठी हुई थी अन्न जल भी कभी कभी ही लेती थी रानी के रूठने पर राजा बहुत ही परेशान थें तभी तो राजा ने सेना के कुछ जवानों को भोला को लाने के लिए भेजा था ।

भोला को राजदरबार में आसन दिया गया था सारा दरबार मंत्री राज पुरोहित आम जनता से खचाखच भरा हुआ था राज पुरोहित ने गम्भीर आवाज में भोला से कहा था आप हमारे गांव के दामाद हो इस नाते इस राज्य के दामाद हुए सुना है कि आप बहुत ही ज्ञानी है महारानी का हार कहीं चोरी  हो गया है अगर आप ने बता दिया तब आप को ईनाम भी मिलेगा साथ ही नौकरी अगर नहीं पता बताया तब सजा भी मिलनी है ।

भोला सोच में पड़ गया था मन ही मन में विचार किया कुछ दिन कि मोहलत ले लेता हूं फिर मौका देखकर पत्नी के साथ इस राज्य कि सीमा से दूर भाग जाऊंगा उसने राजा से विनय भरे लहजे से कहा था हजूर मुझे एक हफ्ते का समय चाहिए क्योंकि मुझे ध्यान लगाना होगा ।

राजा ने उसे समय सीमा दे दी थी फिर वह बड़ी ही चिंता से घर पहुंचा था उसे अपना बड़बोलापन खल रहा था झूठ बोल कर अपनी वाहवाही लूटने से चिढ़ हो रही थी पत्नी ने पूछा था कि तुम्हारा चेहरा उदास क्यों है मुझसे कहो ?

रात्रि में चिंता से नींद नहीं आ रही थी उसके घर के बगल में नाई का घर था दीवाल से दीवाल जुड़ी हुई थी नाई कि पत्नी पति से बात कर रही थी कि देखो मैंने पहले ही बोला था कि मुझसे रानी के हार कि चोरी मत करवाओ पर तुम नहीं मानें अब देखो गांव का दामाद ज्ञानी है सुनते हैं कि राजा साहब ने उसे बुला कर हार खोजने का कहा हैं वह तो सब कुछ बता देगा फिर हमें राज दंड मिलेगा अब क्या करूं ।

उसकी यह बात सुनकर उसका पति बोला था अरे तुम इतनी चिंता क्यों करती हो रानी का हार गुसलखाना में पत्थर के नीचे छुपा देना ।

भोला का इतना सुनना था कि उसकि बाछे खिल उठी थी लम्बे पैर पसार कर सोया हुआ था जैसा कि राजा साहब ने एक सप्ताह का समय दिया था पूरा हो गया था राजा के दूत घर पर आ गये थें उसने भाव खाकर कहा था कि जाकर राजा साहब को संदेश देना कि राजकीय सम्मान के साथ जाउंगा फिर क्या था राजा साहब ने हाथी घोड़ा पालकी सेना कि टुकड़ी भेजी थी महल के मुख्य दरवाजे पर खुद स्वागत हेतु खड़े हुए थे आज फिर से राजदरबार खचाखच भरा हुआ था भोला को राजपुरोहित महामंत्री के बगल में कुर्सी दी गई थी कुछ देर तक भोला कुछ मन ही मन में विचार करता रहा था वह अपने हाथ कभी हवा में उठाता फिर नीचे कर के कोई मंत्र जोर जोर से बोलता था सहसा गुसलखाना गुसलखाना रानी का गुसलखाना उसमें पत्थर उसके ंनीचे लखटकिया हार रखा गया था कहने लगा था फिर क्या था थोड़ी देर बाद ही हार मिल गया था राजा साहब ने उसे इनाम में एक लाख सोना के सिक्के दिए थे व राजदरबार में नौकरी ।

सच में जब किस्मत मेहरबान होती है तब मूर्ख भोला जैसी चमक जाती है?। 

Comments

यह कहानी बचपन में दादी ने प्यारी सी थपकियां देकर सुनाई थी जो कि किस्मत पर आधारित है इस कहानी को याद करते हुए ऐसा लगता है कि दादी हमारे पास है जो हमें आज भी थपकियां देकर किस्सा सुना रही है ।

Popular posts from this blog

दलदल एक युवा लड़के कि कहानी

वह एक वर्षांत कि रात्रि थी मेघ गर्जन करते हुए कड़कती बिजली के साथ घनघोर वर्षा कर रहे थे ऐसे ही रात्रि में परेश होटल के कमरे में एक युवा शादी शुदा महिला के साथ लिपटा हुआ था  महिला के कठोर नग्न स्तनों का नुकिला हिस्सा उसकी छाती पर गढ़ रहा था वातावरण में गर्म सांसें के साथ तेज सिसकारियां निकल रही थी सांगवान का डबल बैड पलंग पर मोंटे मोंटे गद्दे कांप रहे थे पलंग का शायद किसी हिस्से का नट बोल्ट ढीला था तभी तो कि कुछ चरमरा ने कि आवाज आ रही थी  साथ ही महिला के मुख से और तेज हा ओर तेज शाबाश ऐसे ही ... .. आह आह सी सी बस बस अब नहीं छोड़ो टांग दर्द  कर रही है बस बस  पर परेश  धक्के पर धक्का दे रहा था फिर वह भी थम गया था अपनी उखड़ी सांसों के साथ चूंकि परेश पुरूष वैश्या था उसकी अमीर हर उम्र कि महिला थी वह इस धंधे में नया नया आया था  पर जल्दी ही अमीर महिलाओं के बीच फेमस हो गया था उसका कारण था उसका सुंदर सुडौल शरीर और बात करने का सभ्य।  ढग फिर वह अपने काम को पूरी इमानदारी से निर्वाह करता था मतलब उसकी ग़ाहक को किसी भी प्रकार कि शिक़ायत नहीं रहती थी । खैर सांसें थमते ही ...

दो गज कि दूरी

यूं  सेठ लछमी चंद को रूपयों पैसे कि कोई भी तंगी नहीं थी भगवान का दिया हुआ सब कुछ था दर्जनों  कारे  बंगले थे हजारों  करोड़ रुपए कि (रियल एस्टेट) कम्पनी के मालिक थे  अनेकों शहरों में व्यापार फैला था सेकंडों नोकर चाकर थे पावर इतना कि बढ़े बढ़े मंत्री चाय पीने को आते थे उच्च पदों पर बैठे सरकारी मुलाजिमों से अच्छा यराना था ऐक फ़ोन पर फाइलों में साइन करा लेने का अधिकार रखते थे वो बात अलग थी कि सेठ समय समय पर अपनी यारी नोटों के बंडल भेंट रूप में देकर निभाते रहते थे  खैर पैसे से कैसे पैसे बनाए जाते थे उन्हें हर गुर बखूबी आता था सेठ जी कि उम्र लगभग साठ साल के आसपास कनपटी पर सफेद बाल थुलथुल शरीर गोरे चिट्टे मध्यम कद चेहरे पर तेज पर शरीर में बहुत सारी बिमारियों ने बसेरा कर रखा था जैसे शुगर ब्लेड प्रेशर गैस आदि आदि फिर भी दिन भर भागदौड़ कर रात्रि  दो बजे तक हिसाब किताब में ऊलछे रहते थे यू तो एकाउंट को सम्हालने वाले सी ऐ भी थे पर उनके ही हिसाब किताब को चेक करते थे विश्वास अपने रोम पर भी नहीं था  अर्धांगिनी कभी कभी टोकती तब यू कहकर टरका देते कि बस अब आख़री साल ...

पति-पत्नी और वो किस्सा

             ऐक था राजा उसका ऐक राजकुमार था राज्य में सब कूशल मंगल था ऐक दिन राजा राजकुमार को राज सौंप कर तीर्थ यात्रा को निकल गया राजा के जाने के बाद राजकुमार अपनी सूझबूझ से राज्य चलाने लगा था चारो ओर शांति समृद्धि कायम हो रही थी जो कुछ चाटूकारों को अच्छी नही लगती थी  ऐक दिन ऐक गरीब ब्राह्मण राज दरबार में आया था उसे अपनी पुत्री का विवाह करना जा चूकि गरीब होने के कारण धन नहीं था पत्नी के बार बार कहने पर वह आया था पर ब्राह्मण सिद्धांत का पक्का था बिना कुछ दिए हुए भिक्षा भी नहीं लेता था खैर राज दरबार में ऊसका यथोचित सत्कार किया गया था राजकुमार ने आने का कारण पूछा तब ब्राह्मण ने कहा हे राजन मुझे अपनी कन्या का विवाह करना है मेरे पास धन की कमी है अतः मुझे आपसे आर्थिक मदद चाहिए तब राजकुमार ने कहा हे ब्राह्मण आपके लिए रात को खोल देता हूं आपको जितना भी लगे आप ले जा सकते हैं तब ब्राह्मण बोला नहीं नहीं राजन मैं फ्री में किसी से दान भी नहीं लेता मैं आपको एक कागज दे रहा हूं वक्त आने पर इसे पढ़िए गा बहुत काम आएगा खैर ब्राह्मण कागज दे कर धन लेकर अपने घर रवाना ह...