यूं तो दोस्ती का आजकल के अर्थ युग में निर्वाह करना मुश्किल काम है दोस्त चाहते हुए भी एक दूसरे का साथ नहीं दे पाते हैं उसका कारण यह है कि हर रिश्ते को लाभ हानी के तराजू पर तौल दिया जाता है परन्तु कुछ दोस्त आज भी ऐसे हैं जिन्हें लाभ हानी गरीब अमीर से कोई भी मतलब नहीं रहता वह तो दिल से एक दूसरे के सुख दुःख में साथ देते हैं ऐसे ही मेरे दोस्त फारूक खान थें मेरे बहुत पुराने मित्र थें उनसे वर्षों तक मुलाकात भी नहीं हुई थी उसका कारण यह था कि में रोज़ी रोटी कि तलाश में अपने गांव से दूसरे शहर चला गया था और वह अपने ही गांव के नजदीक शहर में रहते थे लगभग पन्द्रह साल तक हमारे बीच न ही कोई पत्र व्यवहार न ही मोबाइल फोन पर बातचीत कुछ भी नहीं हुई थी मतलब हम दोनों अपनी अपनी दुनिया में मस्त हो कर एक दूसरे को लगभग भूल ही गए थे ।
कोरोनावायरस महामारी ने सारे संसार को अपनी गिरफ्त में लेकर जन धन कि व्यापक तौर पर तबाही मचाई थी लाखों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया था बड़ी बड़ी कंपनिया का व्यापार डूब गया था मैं भी व्यापारी था जिस कंपनी से काम लिया था वह घाटे में पहुंच गई थी ऐसे में मेरा पैसा भी डूब गया था ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था कुछ लोगों का कर्ज भी देना था वह भी बार बार तकाजा लेने के लिए फोन पर फोन कर रहे थे सोचा ऐसे समय में परिवार वाले रिश्ते दार कुछ मददगार साबित होंगे परन्तु उन्होंने भी अपनी मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लिया था अब मैं पूरी तरह से टूट गया था बिखर गया था सहसा मुझे फारूक भाई कि याद आई थी उन्हें खोजने के लिए उनके पुराने मकान पर गया था पता चला कि उन्होंने मकान को तोड़कर स्कूल गरीब बच्चों के लिए दान में दे दिया भाई साहब का लगभग आधा किलोमीटर दूर बंगला हैं आप दाएं बाएं हाथ से मोटरसाइकिल टर्न करके पहुंच जाएंगे शहर कि तंग गलियों में में भटक गया था फिर उनके बारे में और मित्रों से फोन लगाकर घर का पता पूछा था तब एक मित्र ने कहा भाई वह तो बहुत पैसे वाले हो गये हैं रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं बहुत सारी जमीनों के मालिक हैं फिर वह बदल गये है पुराने दोस्तों को भाव भी नहीं देते हालांकि आप उनका पता पूछते हों तब यह रहा उनका मोबाइल नम्बर व मोहल्ला मकान नम्बर मुझे फोन पर उस मित्र ने सब कुछ लिखा दिया था सोचा कि मोबाइल पर बात कर लेता हूं फिर विचार किया सामने मिलने से बात चीत का अलग ही महत्व रहता है मैं उनके घर पहुंच गया था घर के नाम पर आलीशान बंगला था जो सर्व सुविधायुक्त था पोर्च में दो तीन लग्जरी कारें खड़ी थी गेट पर दरबान था मैंने दरबान से कहा कि फारूक भाई को फोन कर कहिए कि आपके पुराने मित्र ठाकुर जी आप से मुलाकात करना चाहते हैं दरबान ने मुझे सिर से पांव तक देखा था शायद वह मुझे पड़ रहा था फिर उसने दया दृष्टि डालते हुए उन्हें फोन किया था चूंकि मैं गेट के बाहर खड़ा था कुछ आवाजें सुनाई दी थी जैसे कि जी सर जी जी ....
अब दरबान का चेहरा व व्यवहार बदल गया था गेट खुलते ही उसने मुझे सैल्यूट ठोका था फिर इज्जत से मेहमान खाना में बैठा दिया था थोड़े ही देर मे फारूक भाई साहब आ गये थें उनके चेहरे पर अमीरों वाली चमक थीं आते ही गले मिले थें भाभीजी से चाय नाश्ता का शायद उन्होंने पहले ही बोल दिया था तभी तो बे खुद लेकर आई थी मैने नमस्ते कहां था मेहमान नवाजी के साथ हमारी बात चीत भी हों रहीं थीं हम एक दूसरे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते थे जैसे कि बच्चे कितने हैं क्या कर रहे आदि शायद उन्हें मेरी बातों से पता चल गया था कि मैं मुश्किल समय से गुजर रहा हूं तभी तो वह आता हूं कहकर अंदर पहुंच गए थे जब आए तब उनके हाथ में एक थैली थी जो उन्होंने मुझे दी थी उसमें नोटों कि गड्डी थी संकुचित लहज़े से मैंने कहा भाई साहब यह सब क्या ???
उन्होंने कहा पगले मै तेरा बचपन का मित्र हूं मैं तेरे स्वभाव से अच्छी तरह से परिचित हूं मैं तुम्हारे उपर कोई एहसान नहीं कर रहा भाई बुरे समय में दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है उनकी इस उदारता पर में भाव विभोर हो गया था आंखों से अश्रु धारा निकल रही थी सचमुच वह पल मेरे जीवन में अनमोल थें ।
हालांकि पुनः प्रयास किया बिजनेस में सफल हो गया मैंने फारूक भाई साहब से अनेकों बार आप गूगल पे या बैंक एकाउंट नंबर आइ ऐफ सी कोड मुझे भेज दिजियेगा आप का धन वापस करना है तब उन्होंने कहा पगले कौन सा पैसा कब दिया था ........ ऐसे मित्र किस्मत वाले को ही मिलते हैं और मैं उन किस्मत बालों में सबसे ज्यादा खुशकिस्मत हूं ।।
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