पिछले भाग से आगे ....
करूणा अभिजात्य वर्ग के अय्याश पुरुषो में जल्दी ही लोकप्रिय हो गयी थी उसकि अदाएं पर कुछ तो अपना सर्वस्व न्योछावर करने को भी राजी थें कुछ तो उससे विवाह करना चाहते थे कुछ के लिए तो वह केवल भोग कि वस्तु ही थी कूछ के खेलने वाली मोम क गुड़िया कुछ के लिए रिमोट कंट्रोल से चलने वाली गुड़िया जो कि हस्ते हुए मुस्कुराते हुए अपने मालिक का मनोरंजन करते कुछ के लिए तो वह रूप यौवन के अथाह सागर कि मल्लिका थी खैर मिस्टर नागपाल ने उसका अपने व्यापार के विस्तार हेतु उपयोग किया था वर्षों से अटकी फाएले जो अधिकारियों कि टेबल पर पड़ी हुई धूल कि परत में दबी हुई थी वह साफ होकर अलमारी में पहुंच गई थी सालों से अटके प्रोजेक्ट्स का निर्माण कार्य शुरू हो गया था इतना सब होने के बाद भी करूणा के हाथ में कुछ नहीं था मतलब कोई भी धन संचय नहीं था उल्टा वह शराब सिगरेट कि आदी हो गयी थी नशा उतरने के बाद वह गम्भीरता से इस दल दल से निकलने का विचार करतीं थीं परन्तु उसे दूर दूर तक दल दल से बाहर निकालने का मसीहा नज़र नहीं आता था एक दिन ऐसे ही विचार मग्न थी तभी नागपाल का फोन आया था उसने कहा करूणा दिल्ली सरकार के बड़े यंत्री जी आज आ रहें हैं रात्री फ्लेट में ही रूकेंगे जरा सलीके से स्वागत करना तब उसने आज तबीयत बिगड़ी है मैं .......उसकी बात खत्म भी नहीं हों पाई थी तभी नागपाल ने आदेशित लहज़े से कहा था देख करूणा यह बहाना नहीं चलेगा मेरा हाइवे का प्रोजेक्ट दस हजार करोड़ रुपए का अटका हुआ है उसे पास कराना तेरे हाथों में है समझी तब उसने कहा था मालिक आप का हर आदेश माना आप ने जिसके लिए कहां मे उसके साथ हमबिस्तर हुईं कभी कभी तो दो तीन मर्दों के साथ इतना सब करने के बाद मुझे क्या मिला बस दो बकत कि रोटी देह ढकने के लिए कुछ अच्छे से कपड़े वैसे मेरी देह पर कपड़े तो कभी कभी ही रहते हैं अधिकांश समय तो मैं आप के साथ या फिर आपके दोस्तों के बीच निर्वस्त्र ही रहती हूं वह हंस दी थी फिर व्यंग्यात्मक लहजे से कहा बदलें में मुझे क्या मिला माफ किजिए में किसी के साथ भी नहीं ...
उसके मना करते ही नागपाल के दिमाग में उलझा हुआ प्रोजेक्ट आ गया था हालांकि उसके सम्पर्क में बहुत सारी लड़कियां थीं जो उसके कहते ही मंत्री जी के स्वागत के लिए हाजिर हों जाती थी परन्तु मंत्री जी तों करूणा के उपर ही रीझे हुए थे उसे हर हाल में पाना चाहते थे तभी तो नागपाल ने चापलूसी भरें लहज़े से कहा था कि देख करूणा मुझे याद है कि मैंने फ्लेट व कार देने का बादा किया था संभवतः व्यस्तता के कारण मैं तुम्हारे मालिकाना हक के कागज़ नहीं दें पाया में अभी ड्राइवर के हाथ भेज रहा हूं परन्तु.... याद रखना मंत्री जी के स्वागत में कोई कसर बाकी रह गयी तब मुझे वापस लेना भी आता है समझी धमकियों भरें लहज़े से कहा था ।
जैसा कि तय समय पर मंत्री जी का आगमन हुआ था उनके सुरक्षा कर्मी वाह्य मुसतेजी से पहरा दे रहे थे और अंदर यंत्री जी शराब के पैग हलक में उतार रहे थे हल्की आवाज में में शराबी में शराबी का गीत बज रहा था यंत्री जी सत्तर साल से ऊपर थें परन्तु गाने कि धुन शराब का सुरूर साथ ही मोनालिसा जैसी खुबसूरत सुदंरी कि कमर में हाथ डालकर वह थिरकने लगे थें डांस का दौर जल्दी ही खत्म हो गया था अब तों विस्तर पर खजुराहो तस्वीरें वन रहीं थीं बूढ़े मंत्री में लजबाब ताकत थीं या फिर उसकी जवानी लोट आई थी या फिर उसने सारे जीवन अपनी फिटनेस का ख्याल रखा था हालांकि शरीर थुल थुल था परन्तु वह शरीर विस्तर पर कुशल प्रदर्शन कर रहा था लगभग आधा घंटे बाद वह कुत्ते जैसा हांफते हुए बगल में करवट बदल कर लेट गया था थोड़ी देर आराम करने के बाद वह करूणा कि खूबसूरती का कविता जैसी लहज़े में तारीफें कर रहा था साथ ही दिल्ली आने का कह रहा था उसने हाथ बढ़ाकर टेविल पर से करूणा का मोबाइल फोन उठाया था उसमें अपना नम्बर सेब कर दिया था खैर यंत्री जी नीम अंधेरे सुवह चार बजे निकल गये थें करूणा कि बोटी बोटी रोम रोम दर्द कर रहा था कुछ जगह पर नाखूनों के निशान कठोर स्तन पर दांत के निशान स्पष्ट दिखाई दे रहे थे बाल बिखरे हुए थे टांगें दर्द से भरी हुई थी वह अपना दर्द किस से कहें कौन सुनेगा यहीं सब सोचते हुए नींद के आगोश में समा गई थी ....
लिखना जारी अगला भाग जल्दी ही
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