गायों का झुडं जब
टुन टुन धुन धुन किढ किढ
सुन सुन की अनोखी आवाज
करता एकाएक सामने आ गया ।
तो काफी देर तक
ईस अनोखे समूह को
मे एकटक देखता रह गया ।।
तभी भोला भाला बरेदी
अनोखी आवाजे गायो को देता
हँसता मुसकुराते चिल्लाता दौडता
पास से गुजर गया
उसका मुसकुराहट से भरा चेहरा
उसका संतोष
उसका गायों के प़ति स्नेह देख
में ठगा सा रह गया
पुनः उसी अनजाने संगीत में
ऊनही आवाज में
भागत उछलती
चुपचाप घास चरती
आपस में फूसती
सिर लडाती जुग आली कर
रभाती गायों के झुंड को देख कर्मयोगी
कृष्ण कि याद कर
हृदय पुलकित पुलकित हो गया ।
गायौ के झुंड को देख
अचानक गोकुल के गवाल
द्वारका के राजा
गोपियों के कन्हैया
महाभारत में अर्जुन को
कर्म का मरम समझाने वाला
जन जन का रखवाला
मधुसूदन का धयान आ गया ।
गायों के साथ रह
गवालौ से लडझगण
मधुवन मे खेल कूद
कालिया नाग का घमंड चूर कर
गोपी कृषण वह वन गया
पर आज का नौजवान
सेवा भूल भाईचारा भूल
लफंगा वन मोबाइल में खो कर
आवारा हो गया ।।
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