वह भादो माह कि काली रात्रि थी आसमान में मेघ भीषण गर्जन करते हुए धरती पर कभी तेज तब कभी धीमी गती से पानी कि धारा बूदो के रूप में बिखेर रहे थे कभी कभी हबा भी तेज गति से पेड़ पोधो को परेशान कर रही थी व कही दूर मेंढक, झींगुर कि टर टर सी सी कि आवाज आ रही थी कालोनी के पास कही कुत्ते सामूहिक रुदन कर रहे थे जैसे की मानो बे सब मिलकर कह रहें हो कि हे मानव हमारे पूर्वजों ने तुम्हारे जीवन जीने के लिए अपने पचचीश साल भगवान् से प्रार्थना कर तुम्हे दिए वह इसलिए अपनी आयु से दिए थे कि हे मनुष्यो तुम्हारी बढी हुइ आयु से हम मुक को खाना रहना, मिलता रहेगा अरे अब देखो तुम सब अपने अपने घरों मे पलंग पर रजाइ मे दुबक कर नींद में मस्त हो कर पडे हो और हम ऐसी वारिस में अपने छुपने का स्थान खोज रहे हैं हे मनुष्यो हमे तो तुम्हारे पोर्च में जरा सा जमीं का टुकड़ा चाहिए था बदले में तुम्हारे घर कि रखवाली फ़ी में हो जाती फिर कहते हो इंसान का सबसे अच्छा दोस्त कुत्ता होता हैं अरे भला बताऐंगे हम ने दोस्ती वफादारी निभाने में कहाँ गलती कि थी बेघर कुत्ते सामूहिक रूप से रो कर अपना दर्द बता रहे थे ।
ऐसे ही मौसम में युवा स्त्री पति के आगोश में समाई हुई जरा धीरेधीरे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज रहम करो देखो मे कोई बाजार कि औरत नही तुम्हारी पत्नी हूं प्लीज उस युवा स्त्री के लाख निवेदन करने पर भी उसका पति को जरा सा भी रहम नहीं आया था वह तो पशुओं जैसी पाशविकता दिखा रहा था पलंग चर चर कर के कांप रहा था बाहर हबा के झौके के साथ पानी खिडकी से टकरा रहा था इसलिए उस औरत कि आवाज वाहर नहीं जा रहीं थी लगभग आधा घंटा बाद उसका पति ऐक और लुढ़क कर बिखरी सासो को समेटने लगा था उखड़ी सांसों के बीच कमली तू चीज बडी ही मस्त है कसम से जब तू छोड़िए छोड़िए कुछ सिसकारियां कुछ दर्द भरी आवाज से कहती है तब दो गुना जोश आ जाता हैं और यह रम भी क्या चीज है पीने के बाद कमज़ोर मर्द को भी घोड़े जैसा दोडा देती हैं मे तो कहता हूं की जो भी पुरुष गुप्त रोग से पीडत हैं ऊनहे दो पैग रम पी कर डबल बैड पर जाना चाहिए फिर उसने पलटकर गाल पर चुंबन लिया था थोड़ी ही देर बाद उसकी नाक बांसुरी जैसी बजने लगी थी नींद के आगोश में समां गया था कमली ने अंधेरे मे ही अपने अंतवस्त्र पहन लिए थे फिर वह हलकी हलकी आवाज में रोने लगी थी उसके कुछ अंगो मे अथाह पीड़ा हो रही थी जलन थी अब वह सोच रही थी कि यह देने वाला उसका पति तो ही है वह जैसे कह रही थी कि हे जख्म तुम्हे सहने कि आदत डालनी होगी अरे दातो से ही तो काटा था जरा सा ही तो खरोच थी ठीक है सुबह तक पीड़ा ठीक हो जाएगी कोई बात नहीं पति ही तो है उन्हें अपनी मर्दानगी दिखाने का पूर्ण अधिकार है मे भी तो योन सुख चाहती हूं ठीक है ऐसा सोचते हुए वह भी नींद के आगोश में चली गयी थी ।
भोर के समय में वारिस थम गई थी आसमान में अभी भी काले काले वादल छाऐ हुऐ थे दूर कहीं मुर्गा बाग लगा रहा था बंगलें के बाहर पीपल के पेड़ पर पछिं चहचहा रहे थे मानो जैसे कि वे कह रहें हो उठो मानव देखो भोर हो गयी है बैडरूम से वाहर निकल कर देखिये केसी ताजि हवा वह रहि है इस हवा में वह ताकत है जो तुम्हे शुगर, जैसे रोगो से छुटकारा दिला सकति है फिर देखो तो भगवान् सूर्य देव भि तो उदय हो रहे है दूर कहीं अपने रथ पर सवार होकर आ रहे है आह उस रथ कै तो सात सफेद अश्व खिच रहे है आह देखो तो उनके उदय होने कि खुशी में आसमान मे सात रंग मिलकर तुम्हे नया संदेश दे रहे हैं कमला पछिं कि चहचहाहट से जाग गयि थि ।
सुबह कि दैनिक दिनचर्या से निवर्तमान होकर कमला पति के लिये नाश्ता लंच तैयार कर रही थी घर में काम बाली बाई थी फिर भी वह खाना खुद तैयार कर रही थी कारण उसके पति को उसके हाथों का खाना ही पसंद था कहते है सचमुच कमला तेरे हाथ में जादू है खाने का टेस्ट ही अलग होता हैं उंगली चाटने का मन होता हैं वह खयालों में खोई हुई थी तभी पति की आवाज सुनाई दी कमला जरा जल्दी नाश्ता लंच तैयार कर देना और हा बैंक मे पैसे जमा कर आना में तुम्हारी कार ले जाऊंगा तुम मेरी कार एजैंसी में सर्विस के लिये ले जाना और जरा धोबी के पास जाकर कहना कि कपड़े ठीक से धोया करे ठीक से प़ेश करे पति देव बाथरूम के अंदर सीसे के सामने खडे होकर दाडी बनाते हुए सारे दिन के काम समझा रहे थे घंटे भर बाद जैसा कि कमला बंगले के मुख्य दरवाजा तक पति का बैग टिफिन लेकर जाती थी एसे ही वह पहुंची थी चूकि काम वाली बाई किचन में साफ सफाई कर रही थी ऐसे में मौका देखकर पति ने उसे बाहों में भरकर उसे चूम लिया था उनके हाथ देह पर रेग रहें थें कुछ अंगों को मसल रहे थे फुसफुसा कर उनहोंने कहा कि कमला तू चीज बढी मस्त है कसम से दफ्तर जाने का मन नहीं हो रहा हैं पति देव कि बात पर उसने फिकी मुसकुराहट बिखेर दी थी ।
सारे दिन के काम निपटाने के बाद कमला छत पर पहुंच गयी थी आसमान मे अभी भी बादल छाऐ हुऐ थे दूर कही बिजली चमक रही थी उसी के बाद वादल गरज ने लगे थे छत के ऊपर से पंछी झुंड बनाकर चहचाहते अठखेलियां करते हुए अपने अपने घोंसले को लोट रहे थे कमला उढते हुए पंछी के विडीयो बनाने लगी थी साथ ही फिर से ख्यालो मे खो गई थी कि काश अगर मै पंछी होती तब अहा मजा आ जाता में भि उनमुक्त होकर गगन में विचरण करती में भि ऐक डाल से दूसरी डाल पर बेठ जाति मे भि घर के छतों पर आंगन में फुदकती पर काश ऐसा नहि होगा उसे याद आया था कि जब वह बचपन से किशोर अवस्था में प़वेश कर रही थी सिने पर तेजी से उभार उभर रहे थे उसि के साथ गालो पर लालिमा छा रहि थी कजराई बडी बडी आंखों में शर्म भर रही थी देह भि अलसाई अलसाई सि लगने लगी थी मन में रंगीन ख्याल आने लगे थे पड़ोस के चाचाजी अकेला देखकर कहते तू तो बहुत सुंदर है कमला देख किसी से कहना मत तेरी चाची कल अपने मायके जा रही है उनके जाते हि तू आ जाना हम दोनों मिलकर नया खेल खेलेंगे बहुत मजा आएगा और वह भोलि भालि उनके घर पहुंच गई थी उस चाचा ने उसे जैसे तेंदुआ हिरणी को दबोच कर शिकार करता है वह भी छूटने को मचल रही थी साथ ही नही चाचा मुझे नहीं खेलना छोढिऐ पर वह मानने वाला नही था हद से ऊपर जा रहा था एकाएक उसने चाचा के हाथों को काट लिया था और वह चुंगल से निकल कर घर आकर मां से लिपट कर फूट फूट कर रो रही थी मां ने प्यार से उसके शिर पर हाथ फेरकर बेटा क्या हुआ पिताजी ने डाट दिया या फिर भाई से लड़ाई कर ...लि कोई बात नहीं मैं दोनों को समझा ... मां कि बात पूरी नहीं हुई थी उसने रो रो कर सारा बकाया बताया था सबकुछ सुनने के बाद मां ने प्यार से कहा विटिया बहुत सारे लोग इंसान के भेष में भेढिया बनकर घूम रहे है जो कि हमारे आस पास हि हैं उन्हें पहचाना मुश्किल हैं बेटा तू किसी से कहना मत बहुत बदनामी होगी समाज में हम मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे तेरे व्याह मे समाज वाले परेशान करेंगे फिर तेरे पापा उस राछस को जिंदा नही छोढेगे सारा घर बर्बाद हो जाएगा ।
गांव के इंटर स्कूल से उसने बारहवीं कछा पास कर ली थी वह आगे पढना चाहती थी तब माता पिता ने मना कर दिया था उसने कहा कि भैया शहर में रहकर पढाई कर रहे है में क्यो नहीं तब मा ने बेटि सुना है की शहरों में लडका लडकी शादी के पहले दोस्ती कर हद से बाहर निकल जाते हैं और तो और मोबाइल में विडियो बनाकर शोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं जिसे सारा संसार देखता हैं जरा सोच उनकी गलतियां से मां बाप कि कितनी बदनामी होती हैं न न तेरे बापू ने लखनऊ तेरे लिए रिश्ता देख लिया है लडके का खुद का धंधा है घर है बंगला है नोकर चाकर हैं परन्तु वह तेरे से उम्र में दस साल बड़ा हैं और तुम्हे बता दू वह तलाक शुदा है इसलिए दहेज भी कम देना होगा फिर कहते हैं की मर्द सौ साल तक बुड्डा नहीं होता रानी बनकर रहेंगी कारण वह दुनिया में अकेला ही हैं ।
वसंत ऋतु चल रही थी इस ऋतु में भारतीय संस्कृति मे व्याह कि तारीख पंडित पंचांग देखकर शुभ घणी बताते हैं पापा ने शादी तय कर दी थी तय समय पर गाजे बाजे के साथ बरात आ गयी थी दूल्हे राजा घौढे पर सवार थे उनके दोस्त यार संगे संबंधी नाच रहे थे कुछ देर बाद जयमाला का कार्य क़म संपन्न होना था सहेलियों के साथ वह स्टेज पर फूलों कि माला लेकर पहुंची थी तभी दूल्हे को भरपूर नजर से देखा था मजबूत दैह कद-काठी का चेहरा थोड़ा सावला था फिर भी आकर्षित लग रह था यह सही था कि वह उम्र में बहुत बडे थे शायद पापा कि उम्र से दो चार साल पीछे उसने किस्मत समझते हुए स्वीकार कर लिया था दूसरा चेहरे से ही पैसा वाला दिखाई दे रहा था व्याह कि सभी रीति रिवाज होते ही उसकि विदा होने जा रही थी वह भाई माता पिता के सीने से लिपट लिपट कर रो रही थी उधर रिशतेदार दहेज़ का सामान ट़क मे भर रहे थे डबल बैड सागोन कि लकड़ी का था जिस पर विभिन्न प़कार कि नक्काशी थी उस के लिये डनलप कंपनी के मोटे मोटे गद्दे बाजार से मगाऐ गये थे रंगीन चादर तकिया थे सारे दहेज़ मे डबल बैड ही कीमती था ।
ससुराल पहुँच कर वहां के सारे नैग चार होने के बाद पतिदेव के परिवार कि भाभी ने बैडरूम में पहुंचा दिया था वह अपने पिता के डबल बैड पर घूंघट डाल कर बैठी थी थोडी देर बाद पति देव आऐ थे आते ही घूंघट पलट कर आप तो बहुत सुंदर हो मेरे भाग्य खिल गये उनके मुंह से शराब कि बू आ रही थी बाते करते हुए वह चूमा चाटी कर उसकी देह से परिधान अलग कर रहे थे उसने सकुचाते हुए कहा था लाईट तो बंद किजिये शर्म लगती है उनहोंने बलव बंद कर दिया था फिर कुछ देर बाद उसके अंदर लोहे जैसा सख्त मोटा लम्बा सा गया था उसके जाते ही मुह से चित्कार निकल गयी थी साथ ही खून कि धारा बह कर चादर पर गिर रही थी पतिदेव ने कमला तू तो कवारी निकली कहा था पिता का दहेज में दिया हुआ पंलग बेईमान निकल गया था जिससे जरा सी आवाज चर चर कि नही आ रहीं थी डनलप के गद्दे बारे बार सुकड कर नीचे उपर हो रहे थे शरीर के कुछ अंगों मे पीढा हो रही थी जिसे देने वाला उसका पति था जिसका साथ पिता जी के द्वारा दहेज में दिया पलंग दे रहा था वह खयालों मे खोई हुई थी तभी मोबाइल कि घंटी बजने लगी थी फोन के उस पार उसका पति था कमला आठ बजे क्लायंट के साथ होटल मे मिटिगं हैं वहीं डिनर करूंगा लेट हो जाऊंगा आप खाना खा लेना ।
गोधूल कि वेला मे ही मतलब सांध्य समय में आसमान में बादल पुनः छा कर वारिस कर रहे थे कमला ने घर के जल्दी जल्दी सारे काम निपटाने के बाद डिनर कर लिया था फिर कुछ देर टेलीविजन पर समाचार देखने लगी थी कभी चैनल बदल कर कोई हिंदी फिल्म देखती ऐसे ही ग्यारह बज गये थे वह सोफे पर ही लेट कर नींद के आगोश में चली गई थी अर्ध रात्री को पतिदेव आए थे कुछ देर बाद डबल बैड पर कमला आज कुछ नया करते है पहली बार मे तकलीफ जरूर होगी फिर आदत पड जायेगी कुछ छढ बाद उसके मुंह से दर्द भरी चिख निकल गई थी छटपटा कर उसनेे पतिदेव के हाथों को काट लिया था क़ोध मे आकर उसने कहा था तुम जानवर हो समझे में कोई पोर्न स्टार नही जो ऐसा करूगी मैं मेरी देह में भि जान हैं मुझे भि दर्द होता हैं मे तुम्हारे जैसे इंसान के साथ नहीं रह सकती समझे तुमसे तलाक़ .... ले उसकि बात पूर्ण नही हुई थी शायद पतिदेव को गलती का ऐहसास हो गया था तभी तो माफ करना आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगा कमला पति कि छाति से लिपट कर रो रही थी पति देव काश कमला पहली पत्नी ने ऐसा डाटा होता तब तलाक नही होता में तुम्हे खोना नहीं चाहता नहीं चाहता .... हमारे जैसे जानवर पति हि पत्नी को तलाक़ देने के लिए मजबूर करते हैं ....