ज़िन्दगी

 ज़िन्दगी कुछ भी नहीं है

ज़िन्दगी बहुत कुछ भी हैं

जिंदगी जिंदगी जो प्यार बन के

मस्ती जगाती हैं।

ज़िन्दगी कभी गली में 

कभी डगर में कभी मुहल्ले में

कभी शहर में कभी अपनों के बीच 

कभी परायों के बीच चलती है 

कभी नदी कि धारा कि तरह 

तब कभी शांत सरोवर सी थम जाती है ।

जिंदगी कभी सड़कों पर 

तब कभी हवाई जहाज पर 

तब कभी किसी हिल स्टेशन पर 

या फिर यों कहें कि कल्पना लोक में 

अंतरिक्ष में सैर करती है 

ज़िन्दगी कभी स्वप्न लोक में विचरण कर 

मंगल ग्रह पर पहुंच जाती है 

ज़िन्दगी कभी हमें चांद पर ले जाकर 

उसकी उबड़-खाबड़ जमीं के दर्शन कराती है 

ज़िन्दगी वह ही है जो रूखी सी सूखी सी 

गीली सी आगे और आगे 

बड़ने का  स्वप्न लोक से 

बाहर निकल कर यर्थाथ में आकर 

कुछ ऐसा करने का 

जो परहित का किसी लाचार मनुष्य

या फिर कोई जानवर या फिर कोई दिशा से 

भटक कर कोई कलाकार 

या फिर कोई अपना जैसे कि भाई 

भतीजी माता पिता 

के लिए काम आ जाए 

उन्हें यह जिंदगी सहारा दें 

तब सही अर्थों में हम जिंदगी जी रहे हैं ।

कहते हैं कि जिंदगी में रहना है 

तब अपने आप को जिंदा दिल बना कर 

आगे जाना है ।

इसलिए जिंदगी ऐसी जीयो

कि हम हंसते हंसते हुए 

अंत समय में देह त्याग कर 

हमारी आत्मा 

परमात्मा में विलीन हो कर एकाकार हो जाए ।।






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Mahendra Singh s/o shree Babu Singh Kushwaha gram Panchayat chouka DIST chhatarpur m.p India

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