कुछ भी नहीं यहां
जिसे कह दूं यह हमारा है
सोचा था कभी दिल है मेरा
आज वह भी तुम्हारा हैं।
औरों का दिया हुआ नाम
नहीं लगता यह प्यारा है।
नफ़रत है मुझे उससे
अंहकार का जो सहारा हैं।
प़तिपल अंतर कहता
सिर्फ तू केवल तू हमारा है
यह सुन यह जहां करता उपहास हमारा है।।
आज से कहा सदियां से तुमने हमें तड़पाया है।
रोम रोम में बस तेरा वो रूप भर समाया है।
प्यार शब्दों से कैसे किया जाता है
शब्दों में अक्सर झूठ भी आ जाता है
प्यार तो सत्य का स्वरूप कहलाता है
प्यार तो अपने आप हो जाता है
अन्तर में विकसित हो मौन कर जाता है
कर्म सिर्फ कर्म करने को कह जाता है।
ऐक दूसरे को देख परमानंद को पा जाता है
बाकी सारे जग को परमात्मा बनाता है
सारी दुश्मनी को मिटाकर प्यार आ जाता है
अंहकार हीन बना नफरतों को मिटाता है
मन ही मन बहुत कुछ समझा जाता है
कोई करता नहीं यह सब अपने आप हो जाता है
बदले में तुम्हारे ये संसार हुआ ये हमारा है।
धरती मां रोज कहें तूं मेरा राज दुलारा हैं
ये सागर की लहरें कहें मेरा आंचल तेरा सहारा हैं।
गंगा जमना यै कहें तूं संगम का किनारा है
तेरे बिना दीन हुआ
दीन बंधु का प्यारा हैं
तेरी दी मुस्कान कहें
सारा जग दोस्त हमारा है
मधु रस पिला तूने किया किनारा है
है सब सुहाना पर मन कहे
तू केवल तू हमारा है।।
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